








जयपुर abhayindia.com राजस्थान कांग्रेस पार्टी में चल रहा घमासान एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है। पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजस्थान कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट के बीच लगभग एक साल पहले हुए घटनाक्रम को कौन भूल सकता है। उस समय प्रियंका गांधी वाड्रा के हस्तक्षेप के बाद सब कुछ शांत हुआ था।
हाल के कुछ दिनों में राजस्थान कांग्रेस पार्टी दो गुटों में बंटी हुई साफ़ नज़र आ रही है। पायलट और गहलोत के समर्थक सक्रिय हो गए है। “तू डाल-डाल मैं पात-पात” वाला खेल चलता दिखाई दे रहा है। दोनों के समर्थकों के बीच लगातार बयानबाजी भी समय समय पर हो रही है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी के वरिष्ठ नेता व मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को इस मुद्दे को हल करने के लिए चुना गया है, क्योंकि वह पार्टी के एक वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। गहलोत सरकार का लगभग आधा कार्यकाल समाप्त होने के बाद, उन्हें राजस्थान के मुख्यमंत्री से मंत्रिपरिषद का विस्तार करने और बोडरें और निगमों में राजनीतिक नेताओं की नियुक्ति करने की उम्मीद है।
सचिन पायलट का महत्व राजस्थान के कांग्रेस महासचिव प्रभारी अजय माकन के बयान में निहित है, जिन्होंने शुक्रवार को कहा था, ” प्रियंका गांधीजी और मैंने सचिन पायलट से बात की है। क्योंकि वह पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और एसेट हैं। इसलिए यह असंभव है कि अगर वह नियुक्ति चाहते हैं तो उन्हें मना कर दिया जाएगा। केसी वेणुगोपाल ने भी उनसे बात की है।”
उन्होंने यह भी कहा कि वह बेहद मूल्यवान हिस्सा हैं और पार्टी नेतृत्व उनके संपर्क में है। उन्होंने इन अफवाहों को दूर किया कि कोई नेता पायलट के साथ नहीं था, क्योंकि वह दिल्ली में थे, और वह किसी से नहीं मिले। माकन ने स्पष्ट किया कि प्रियंका गांधी पिछले सप्ताह से दिल्ली से बाहर हैं। माकन ने पिछले हफ्ते कहा था, “कैबिनेट, बोर्ड और आयोगों में खाली पदों को जल्द ही भरा जाएगा और हम सभी से बातचीत कर रहे हैं” पायलट ने उनसे किए गए वादों का समाधान न होने का मुद्दा उठाया है।
संपादकीय : निष्पक्ष एवं निर्भीक पत्रकारिता के दम पर “अभय इंडिया” ने किया 10वें वर्ष में प्रवेश
“अभय इंडिया” के 10वें वर्ष में प्रवेश के अवसर पर किसने क्या कहा? देखें वीडियो…
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