Monday, May 20, 2024
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कोरोना आपदा में गरमा रहा सियासी माहौल, अर्जुन ने गहलोत सरकार पर साधा निशाना

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बीकानेर Abhayindia.com कोरोना आपदा के संकटग्रस्त दौर में अब सियासी माहौल भी गरमाने लगा है। सियासी दल के नेताओं ने एक-दूसरे को घेरने के लिये बयानबाजी तेज कर दी है। इसके चलते केन्द्रीय मंत्री एवं बीकानेर सांसद अर्जुनराम मेघवाल ने आपदा के हालातों में गहलोत सरकार पर सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया है।

मेघवाल वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कोरोना से जंग में सभी का सहयोग मिल रहा है, लेकिन राजस्थान में पारदर्शिता की कमी साफ तौर पर नजर आ रही है। सरकार के गैर जिम्मेदार मंत्री पीएम पर अनर्गल टिप्पणियां कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान में भाजपा नेताओं पर दुर्भावनापूर्ण तरीके से मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं, जबकि ऐसे ही मामलों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

वीडियो कॉंफ्रेंस के जरिये जुड़े मेघवाल ने राजस्थान में किए जा रहे राहत कार्यों पर भी सवाल उठाए। मेघवाल ने कहा कि राशन वितरण में भी कई जगह से पक्षपात की खबरें सामने आ रही हैं। केवल विधायक के यहां राशन पहुंचाकर इतिश्री की जा रही है। मेघवाल ने इसमें पारदर्शिता की मांग की है। जरूरतमंद लोगों को 2500 रुपए की मदद के मामले में मेघवाल बोले कि इसमें भारत सरकार की तरफ से मदद दी जा रही है। इस राशि में 1000 रुपए श्रम विभाग और 1500 रुपए सामाजिक न्याय विभाग की तरफ से दिए जा रहे हैं। यह पैसा केंद्र की मंजूरी के बाद ही मिलना सम्भव हो पाया है। जरूरत ये है कि सरकार पारदर्शी तरीके से इसका वितरण कर दे।

संकट को अवसर में बदलेगी मोदी सरकार

उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार कोरोना के संकट को भी रोजग़ार देने के अवसर में बदलेगी। मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया जैसी योजनाओं से रोजगार के नए अवसर पैदा करेगी। मध्यम और लघु उद्योगों को प्रमोट करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाएंगे। एक्सपोर्ट्स को प्रमोट करने की कार्ययोजना बनाएंगे। संकट कितना भी बड़ा क्यों नहीं हो, देश में किसी भी गरीब और मजदूर का अहित नहीं होने दिया जाएगा। उनके हित, सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है।

100 नर्सिंगकर्मियों का इस्तीफा दुर्भाग्यपूर्ण

मेघवाल ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है की प्रदेश सरकार की लचर नीतियों के कारण झालावाड़ में एक साथ 100 नर्सिंगकर्मियों ने इस्तीफा दे दिया। ऐसे समय जब स्वास्थ्य सेवाएं और बेहतर होनी चाहिए, तभी प्रदेश सरकार ने अपनी प्राथमिकताओं में स्वास्थ्यकर्मियों और उनके जरूरी हितों को नहीं रखा।

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