Saturday, May 4, 2024
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प्रदेश की कवयित्रियों ने लड़ा कोरोना वायरस के विरुद्ध शब्दों का युद्ध

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बीकानेर abhayindia.com प्रदेश की कवयित्रियों ने कोरोना वायरस के विरूद्ध शब्दों का युद्ध लड़ा और आशा व्यक्त की कि कोरोना चाहे कितना भी खतरनाक क्यों न हो, वह हमारी दृढ़ इच्छाशक्ति व सावधानी के आगे अवश्य परास्त होगा।

अवसर था कोरोना जन जागरूकता अभियान के तहत राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर की ओर से शनिवार को ऑनलाइन आयोजित राजस्थानी कवयित्री गोष्ठी का। अकादमी सचिव शरद केवलिया ने बताया कि बीकानेर की कवयित्री मोनिका गौड़ के संयोजन-संचालन में आयोजित इस काव्य गोष्ठी में प्रदेश के विभिन्न जिलों की नौ कवयित्रियों ने भाग लेकर कोरोना महामारी से बचाव के संबंध में अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं।

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इनमें सीकर से डॉ. शारदा कृष्ण, उदयपुर से डॉ. करुणा दशोरा व डॉ. शकुंतला सरूपरिया, कोटा से डॉ. कृष्णा कुमारी कमसिन, जोधपुर से किरण राजपुरोहित, बीकानेर से मनीषा आर्य सोनी व मोनिका गौड़, झालावाड़ से प्रीतिमा पुलक व केकड़ी अजमेर से विमला डागला ने काव्य पाठ किया।

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काव्य गोष्ठी में डॉ. शारदा कृष्ण ने अपनी नई कविता प्रस्तुत करते हुए कहा- मोटी इण अबखाई री टैम नै टीपाँवता रैवो, हिमलास दिरांवता तन मन धन सूं एक दूजै रै दुख-सुख में। उजळी राम-रमी राख‘र आम्हे साम्हे हुंवाला आपां जीतालां आ जंग।

डॉ. करुणा दशोरा ने दोहे प्रस्तुत किये- परो भगावो कोरना पाछै पड़ धो हाथ, हिम्मत हियै में राखनै करलो दो-दो हाथ। हाथ मलावौ मत भलां मत भूलो थे प्यार, रामा सामा दूर सूं कर राखो वैवार। डॉ. शकुंतला सरूपरिया ने अपनी कविता प्रस्तुत करते हुए कहा- आस रा दिवला बुझ नीं जावै दीजौ हाथां रो पल पल पहरो, मास्क पहरजो घरां में रहिजो जीव राखजौ आपणौ सोरो।

कवयित्री मोनिका गौड़ ने कोरोना पर रचित दोहे सुनाए- निरोग जींवण वास्तै मानो एक उसूल, लिछमन रेख घर बार री लँघो ना ही फिजूल। कोरोना री आड़ सूं कुदरत दियो संदेश, मास्क सफाई आंतरो अपनाओ हरमेस। बगत आयो साथीड़ा चेतै लेवो चितार, नेह निभाणौ जीव सूं करणो शाकाहार। बम-गोला नै तोपड्या ना कोई हथियार, डाक्टर, ओखद अस्पताल, करै रोग में कार। डॉ. कृष्णा कुमारी कमसिन ने अच्छे वक्त की आशा व्यक्त करते हुए कहा-यो बगत भी कट ही जावैगो, ठूंठ पै फूट्यौ नुयो पत्तो देखो। चिड़ी तिणका बीनण लाग री छै, आबा वाळो छै एक बच्चो देखो।

इस अवसर पर मनीषा आर्य सोनी ने गीत प्रस्तुत किया- घर में पड़्यौ रै हठीला बारै कोरोना री मार, हाथ धोय‘र लारै पड़ जावो देवो इण नै मार।

अळगा अळगा रैवो सबसूं मत बैठो भेळा, मुख पर ठाटो बांधो काठो, ओ ही है उपचार। प्रीतिमा पुलक ने अपनी कविता में कहा- दो गज दूरी बना‘र रीजो मूंडै पै मास्क लगाजो जी, नियम पालन करां आपां कोरोना नै हराजो जी। कवयित्री किरण राजपुरोहित ने कहा- घर में लुकियां बैठी है, निस दिन भाजण आळी दुनिया। न्यौते रा संस्कार छोडनै, बणगी एकल खाणी दुनिया। विमला डागला ने अपने गीत में कहा- म्हारा बीरा-बैणां सुणज्यो, मूंडै पै मास्क जरूरी, थे राखज्यो सगळां सूं दूरी।

अकादमी सचिव शरद केवलिया ने आभार व्यक्त करते हुए बताया कि अकादमी द्वारा कोरोना जागरुकता अभियान के तहत राजस्थानी स्वास्थ्य वार्ता, राजस्थानी संगोष्ठी आदि कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।

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