Sunday, April 20, 2025
Hometrendingकविता : मां, तुम मर्यादाओं में जकड़ी हो...

कविता : मां, तुम मर्यादाओं में जकड़ी हो…

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

मां,

तुम मर्यादाओं में जकड़ी हो।

निस्वार्थ भाव से कर्मरत हो।।

भरपूर ममता से भरी।

कुसुमसितारों से सजी।।

सहनशीलता की मूरत।

निश्छल मन ज्यूं हो दर्पण।।

कभी रौद्र, कभी करुण।

रूप तुम धरती।।

रिश्तेनातों के लिए।

क्या कुछ नहीं करती।।

अतुल्य प्रेम की अधिकारी हो।

बच्चों पर मां, तुम बलिहारी हों।।

मेरी मां तुम सबसे प्यारी हो।।

चित्रा पारीक, बीकानेर

Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular