Saturday, May 4, 2024
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राईट टू हेल्थ बिल का विरोध जारी, चिकित्‍सकों की समिति ने मंत्री के सामने दागे 10 सवाल…

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जयपुर/बीकानेर Abhayindia.com राजस्थान सरकार के प्रस्तावित राईट टू हेल्थ बिल का पुरजोर विरोध जारी है। ज्वाइंट एक्शन कमेटी बीकानेर ने इस काले बिल के विरोध में सभी निजी अस्पताल के संचालकों और चिकित्सकों ने सरकारी योजनाओं, मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना और आरजीएचएस में 11 फरवरी से आज 17 फरवरी तक एक भी मरीज को ना देखा है और ना ही भर्ती किया है। समिति का कहना है कि इस बिल को वापस करने तक विरोध जारी रहेगा। संयुक्त संघर्ष समिति ने जारी किए स्वास्थ्य मंत्री के लिए दस प्रश्न- राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में गठित विभिन्न चिकित्सा संगठनों की संयुक्त संघर्ष समिति ने दस प्रश्नों की एक प्रश्नावली चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री के सामने रखी जिसमें उनसे स्वास्थ्य सेवा एवं उससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर जवाब मांगा गया है।

ज्वाइंट एक्शन कमिटी द्वारा उठाए गए सवाल…

1. सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहाँ स्वास्थ्य के अधिकार क़ानून बनाने के लिये निर्देश दिये हैं?

2. WHO की कौनसी गाइड लाईन पढ़कर व समझकर वे emergency की परिभाषा व emergency treatment की गाइडलाइन का क़ानून बनाने की बात कर रहे
हैं?

3. स्वास्थ्य के अधिकार क़ानून किन वजहों से निजी स्वास्थ्य प्रदाताओं पर लागू करना चाहते हैं, स्वास्थ्य भारतीय संविधान के अनुसार राज्य का विषय है, राज्य सरकार अपने तंत्र को क्यों नहीं सुधार पा रही है?

4. क्यों राज्य के मंत्रीगण व समस्त अधिकारी अपना व परिवार का इलाज निजी अस्पतालों में करवाते हैं? क्यों नहीं इन सबको सरकारी अस्पताल में इलाज करना अनिवार्य किया जाये?

5. स्वास्थ्य के अधिकार कानून के विधेयक में सरकार द्वारा कोई बजट प्रावधान नहीं किये गये हैं, ना ही राज्य के बजट में प्रावधान किया गया है, क्या यह विधेयक सिर्फ चुनावी नौटंकी है, अन्यथा इसका खर्च कैसे पूरा होगा?

6. सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं में सरकारी व निजी पैकेज एक समान क्यों ? स्नातक, स्नातकोत्तर और सुपर
विशेषज्ञ डाक्टरों, बड़े शहर व गाँव के अस्पताल तथा छोटे व बड़े अस्पताल के पैकेज समान किस आधार पर निर्धारित
किये गये है?

7. सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं के लिये केन्द्र सरकार से अनुदान प्राप्त होता है, बीमा कंपनी से भी प्रतिपूर्ति प्राप्त
होती है सरकारी अस्पतालों में भी जहां इलाज पूर्व से ही निःशुल्क था, अब सरकार ने क्यों कमाई का जरिया बनाया?

8. मंत्रीजी आपने क्या सच में आपने डाक्टरों के प्रतिनिधियों को बुलाकर ढंग से बात करने का प्रयास किया? या स्वंय
चुनकर कुछ डाक्टरों को प्रवर समिति में बुलाया व उन्हें तानाशाही दिखाते हुये अपनी बात तक ना कहने दी, क्या
स्वास्थ्य विभाग का मुखिया ऐसा होना चाहिये?

9. राज्य के नागरिकों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए सरकार राज्य में तम्बाकू बंदी व नशा बंदी लागू क्यों नहीं कर रही है?

10. रोज़ाना राज्य में सड़क दुर्घटनाओं में बहुत मौतें होती हैं, सड़क सुरक्षा, सुरक्षित ड्राइविंग और प्रशिक्षण के लिए सरकार ने क्या किया, राजमार्गो पर 24 घंटे सुविधाओं के साथ विशेष ट्रॉमा सेंटर क्यों नहीं स्थापित किये? क्यों राज्य
सरकार इन मौतों का आँकड़ा कम नहीं कर पा रही है? सुप्रीम कोर्ट ने कई बार निर्देश दिये हैं उनकी
अनुपालना क्यों नहीं हो रही?

समिति के अनुसार, निजी क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं का बहिष्कार जारी हैं। गत रविवार से राज्य के सभी निजी चिकित्सकों ने सरकारी योजनाओं का बहिष्कार प्रारंभ किया था जो आज भी जारी रहा, अपितु यह बढ़ता ही जा रहा है। संयुक्त संघर्ष समिति ने राज्यपाल को पत्र लिख इस बिल की वास्तविकता बताने के लिए उनसे मिलने का निवेदन भी किया है। समिति के अनुसार बिल के वापस लेने तक उनका संघर्ष जारी रहेगा और चिकित्सक किसी भी लम्बी लड़ाई के लिए तैयार हैं। राज्य संयुक्त संघर्ष समिति ने स्वास्थ्य मंत्री, सरकारी अधिकारियों, सरकारी प्रवक्ता और किसी भी नागरिक समाज सहित किसी भी गैर सरकारी संगठन और मीडिया हाउस को तथाकथित प्रस्तावित स्वास्थ्य के अधिकार बिल, राज्य स्वास्थ्य देखभाल की सेवाओं सहित सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं और राज्य सरकार द्वारा प्रचारित सार्वजनिक स्वास्थ्य के राजस्थान मॉडल की वर्तमान स्थिति के बारे में खुले मंच पर उचित बहस करने की चुनौती दी है इससे राज्य सरकार का प्रचारित और विज्ञापित झूठ साफ होगा और जनता हकीकत जान सकेगी।

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