Saturday, May 11, 2024
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गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं को अपशब्द कहने पर मंत्री का विरोध, शिक्षा मंत्री के गृह जिले में डालेंगे महापड़ाव…

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बीकानेर Abhayindia.com फोरम ऑफ प्राइवेट स्कूल्स ऑफ राजस्थान के बैनर तले गैर सरकारी स्कूलों के संचालकों और शिक्षकों का आमरण अनशन बुधवार को नौवें दिन भी लगातार जारी रहा।

इस से पूर्व मंगलवार को फोरम ऑफ प्राइवेट स्कूल्स ऑफ राजस्थान के आह्वान पर राज्य के समस्त 33 जिलों के गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं के आमंत्रित लगभग 300 संचालक जयपुर में धरना स्थल शहीद स्मारक पहुंचे। प्राईवेट एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूट्स प्रोसपैरिटी एलायंस (पैपा) के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल के अनुसार जयपुर में शहीद स्मारक पर एकत्रित हुए 33 जिलों से आए हुए 300 से अधिक पदाधिकारियों ने सर्वसम्मति से यह निर्णय किया है कि यदि 22 नवंबर तक सरकार ने समस्या का कोई समाधान नहीं किया और वार्ता के लिए नहीं बुलाया तो शिक्षा मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में प्राईवेट स्कूल संचालकों व शिक्षकों की ओर से बड़ी तादाद में महापड़ाव डाला जाएगा।

शिक्षा मंत्री के सीकर लक्ष्मणगढ़ स्थित आवास के बाहर महापड़ाव के साथ ही धरना दिया जाएगा। इसके साथ ही राजधानी जयपुर में आमरण अनशन भी लगातार जारी रहेगा और प्रतिदिन प्रत्येक जिले से पदाधिकारी आकर जयपुर में क्रमिक अनशन भी करेंगे। खैरीवाल ने बताया कि इस अवसर पर कोचिंग संस्थानों के राज्यव्यापी संगठन ने भी संघर्ष में शामिल होने की घोषणा की है। कोचिंग इंस्टिट्यूट संगठन के अनिल नडार भी आज से आमरण अनशन पर बैठे हैं।

पांच नवंबर से…

फोरम ऑफ प्राइवेट स्कूल्स ऑफ राजस्थान के आह्वान पर 5 नवंबर से अनिश्चित काल के लिए बंद किए गए प्रदेश के 50 हजार गैर सरकारी विद्यालयों के संचालक, शिक्षक व कर्मचारी सरकार की बेरुखी के चलते काफी आहत हैं। सरकार की तरफ से प्रकरण को लेकर बरती जा रही ढिलाई के चलते गैर सरकारी विद्यालयों की दो महिला संचालक हेमलता शर्मा और सीमा शर्मा गत 10 नवंबर से लगातार शहीद स्मारक पर आमरण अनशन पर बैठी हैं। राजस्थान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब 50 हजार गैर सरकारी विद्यालयों के 11 लाख शिक्षकों व कर्मचारियों को काली दिवाली मनाने पर मजबूर होना पड़ा।

सरकार का रवैया निराशाजनक…

गैैर सरकारी विद्यालयों के विषय में सरकार के निराशाजनक रवैये को लेकर राज्य के 33 जिलों के गैैरसरकारी विद्यालयों के विभिन्न संगठनों में भारी रोष व्याप्त है।  गौरतलब है कि राज्य के अधिकांश निजी विद्यालयों में 5 नवंबर से ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन पूरी तरह से बंद है। जिसे दीपावली के बाद भी चालू नहीं किया गया है और ऐसे में राजस्थान में अध्ययनरत विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है।

सहोदया सीबीएसई, बीकानेर के सचिव विपिन पोपली ने कहा कि आज संचालकों को गैर सरकारी स्कूलों को बंद करने का फैसला मजबूरी में लेना पड़ा है, जिसका कारण सरकार की गलत नीतियां हैं। सरकार 4 महीनों से अपने निर्देशानुसार स्कूलों को खोलनेे के बारे में सोच रही है और गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं के संचालकों ने सरकार के निर्देशानुसार पूरी तैयारी भी कर ली है, पर सरकार ने स्कूलों को खोलने की अनुमति अभी तक नहीं दिए जाने के कारण फीस ना मिलने से स्टाफ को वेतन देने में आज स्कूल संचालक असमर्थ है।

शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति के प्रदेश सदस्य हरविंद्रसिंह कपूर ने कहा कि इन विपरीत परिस्थितियों में भी एनटीए की ओर से सभी परीक्षाएं आयोजित की गई है, अधिकांश राज्यों की सरकारों ने फीस और स्कूल के मुद्दों पर निर्णय ले लिया है। परंतु राजस्थान सरकार ने राजनीतिक मुद्दा बनाते हुए फीस को सिलेबस की कटौती से जोड़ दिया और गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं के संचालकों व शिक्षकों की प्राथमिक आवश्यकताओं को अनदेखा कर दिया है। पैपा के प्रदेश समन्वयक ने कहा कि अब यह आंदोलन राष्ट्रव्यापी बनता जा रहा है दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा के साथ-साथ अन्य राज्य भी इस मुहिम में साथ आ गए हैं। राजस्थान के 33 जिले आज हमारे साथ खड़े ही हैैं।

सरकार अगर अब भी नहीं चेती तो लाखों की संख्या में शिक्षक व संचालक सड़कों पर उतरेंगे जिसकी सारी जवाबदारी सरकार की होगी। बीकानेर से गए पांच सदस्यीय दल में गिरिराज खैरीवाल, तरविंद्रसिंह कपूर, विपिन पोपली, हरविंद्र सिंह कपूर, मुकेश शर्मा एवंं नोखा के महावीर गहलोत, मदनलाल सियाग, ललित पालीवाल एवं देवाराम बाना सम्मिलित थेे।

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