








बीकानेर Abhayindia.com महर्षि दधीची वेद शास्त्रों के ज्ञाता, परोपकारी और बहुत दयालु थे। उनके जीवन में अहंकार के लिए कोई स्थान नहीं था। वह सदा दूसरों का हित करने के लिए तत्पर रहते थे। साथ ही शास्त्रों में यह भी वर्णित है कि महर्षि के जीवन में गौवंश का विशेष महत्व रहा है।
सामान्यत: धन आदि के दान की महिमा का भी लगभग सभी धर्मशास्त्रों ने गान किया है। ऐसे में यदि सृष्टि के कल्याण के लिये सर्वस्व ही नहीं, अपितु अपने जीवन का ही उत्सर्ग कर दिया जाए तो इसे महादान ही कहा जाएगा। महर्षि दधीचि एक ऐसे ही महादानी पुराण पुरूष हैं।
श्री बजरंग धोरा धाम विकास समिति के आशीष दाधीच ने बताया कि जबरेश्वर महादेव में स्थित महर्षि दधीचि की मूर्ति का दूध से अभिषेक पंडित श्रवण दाधीच द्वारा किया गया। साथ ही महादेव के परमभक्त महर्षि दधीचि से गायों में फैले वायरस के प्रकोप से गौ माता को शीघ्र ही मुक्ति दिलाने के लिए प्रार्थना की गई। मगनलाल ओझा ने बताया कि भारतीय सुरक्षाबलों में सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र में महर्षि दधीचि के वज्र का अंकन है और इसके इतिहास में इसका उल्लेख है। आज के इस कार्यक्रम में मगनलाल ओझा, भारत शर्मा, किशन दाधीच, राहुल करेसिया, अभिजीत मिश्रा, सोनू तिवाड़ी उपस्थित रहे।





