







जीवन है एक रणभूमि,
और बीच खड़ा है हर एक इंसान,
सामना होगा कई विपदा रूपी शत्रुओं से,
लड़ो जीवन का समर तुम सीना तान।
मत घबराना इन विपदाओं से,
ये लेती है सभी का इम्तिहान,
सोच समझ कर कदम चला तू,
पग पग पर होगा तेरा सम्मान।
दुख, निराशा रूपी अस्त्र-शस्त्र है इस रण में,
करेंगे ये चारों ओर से तुझ पर प्रहार,
सच्ची लगन और हिम्मत के दम पर,
इन अस्त्र-शस्त्रों को हम देंगे पछाड़।
असफलता पर मत घबराना,
इससे हो जायेगा तेरा जीवन बेकार,
करके दूर कमियां और मेहनत के दम पर,
हो जाओगे सफल और तेरी होगी जय-जयकार।
-मुरली मनोहर पुरोहित, युवा कवि, लेखक, विचारक





