







जयपुर Abhayindia.com चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने निर्देश दिए हैं कि अभी हाल ही में चिकित्साधिकारियों के 1765 पदों पर जो नई भर्ती की गई है उसमें बिना किसी वैधानिक और युक्तियुक्त कारण के ज्वाईन नहीं करने वाले चिकित्सकों को 7 दिवस का एक और अंतिम अवसर देकर, ज्वाईन नहीं करने वालों की सेवाएं समाप्त कर प्रतीक्षा सूची से पदों को भरा जाए।
उन्होंने निर्देश दिए कि सभी चिकित्सा संस्थानों में चिकित्सक नियुक्त करना हमारी पहली प्राथमिकता है ताकि आमजन को नजदीक में ही सरकार की जनकल्याणकारी चिकित्सा सेवाओं का लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि पीजी और एसआरशिप के कारण जिन चिकित्सकों को एक्सटेंशन दिया गया है उनके अतिरिक्त ऐसे नवनियुक्त चिकित्सक जिन्होंने अब तक ज्वाईन नहीं किया है, उन्हें अंतिम अवसर देकर सेवाएं समाप्त की जाए।
आपको बता दें कि नवनियुक्त चिकित्साधिकारियों में से 41 चिकित्साधिकारी ऐसे हैं जिन्होंने ना तो एसआरशिप और ना ही पीजी में होने के कारण ज्वाईन करने में शिथिलता चाही है। ऐसे चिकित्साधिकारियों को ज्वाईन करने के लिए 9 जून तक का अंतिम अवसर विभाग द्वारा दिया जा रहा है। यदि इस अवधि में यह ज्वाईन नहीं करते हैं तो विभाग द्वारा इनकी सेवाएं समाप्त कर प्रतीक्षा सूची से पदों को भरा जाएगा।
172 दंत चिकित्सकों की भर्ती शीघ्र करें : अतिरिक्त मुख्य सचिव ने निदेशक जनस्वास्थ्य को निर्देश दिए हैं कि 172 दंत चिकित्सकों की भर्ती के लिए आरयूएचएस को अभ्यर्थना भिजवायी जा चुकी है। उसका फोलाअप कर उक्त पदों पर शीघ्र भर्ती की कार्यवाही करवायें।
अराजपत्रित संवर्ग की भर्तियां एवं प्रमोशन अगस्त माह तक पूरा करें : एसीएस शुभ्रा सिंह ने अराजपत्रित संवर्ग की भर्तियों को अगस्त माह के अंत तक पूर्ण करने के निर्देश निदेशक अराजपत्रित को दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने वर्ष 2023-24 की डीपीसी के लिए यथाशीघ्र कैलेण्डर जारी कर जुलाई माह तक वरिष्ठता सूचियां जारी करने तथा 15 अगस्त तक पदौन्नति की कार्यवाही पूर्ण करने, डेफर तथा रिव्यू डीपीसी का कार्य पूर्ण करने के निर्देश भी निदेशक अराजपत्रित को दिए हैं।
कार्मिकों से संवाद कर समस्या समाधान करें : अतिरिक्त मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जिस प्रकार वार्ता कर एचएलवी एवं एएनएम सवंर्ग से कार्य बहिष्कार समाप्त करवाया गया है। उसी प्रकार अन्य कैडरों के कार्मिकों से भी संवाद स्थापित करें तथा उनकी समस्याओं को चिन्हित कर उसका समाधान करवायें ताकि कार्य बहिष्कार की स्थिति उत्पन्न नहीं हो।



