जयपुर Abhayindia.com राज्य सरकार ने प्रदेश में अवैध खनन, परिवहन और भण्डारण गतिविधियों में विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट्स पर समयवद्ध अनुसंधान कार्यवाही की मोनेटरिंग व्यवस्था को चाकचोबंद किया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस, पेट्रोलियम एवं जलदाय डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश में अवैध खनन गतिविधियाें में दर्ज प्रकरणों में से करीब 91 प्रतिशत प्रकरणों में सक्षम न्यायालयों मेंं चालान पेश कर दिया गया है वहीं केवल 2 प्रतिशत से कुछ ही अधिक प्रकरण पर अनुसंधान कार्य जारी है। उन्होंने बताया कि अवैध खनन संयुक्त जांच अभियान के दौरान माइंस, पुलिस व वन विभाग द्वारा राज्य में पुलिस थानों में दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट पर त्वरित कार्यवाही के लिए पहली बार विभागीय मोनटरिंग सिस्टम को मजबूत करने के साथ ही पुलिस एवं माइंस विभाग के बीच परस्पर समन्वय व सहयोग के लिए वरिष्ठ अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया है।
एसीएस माइंस एवं पेट्रोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल बुधवार को निदेशक माइंस संदेश नायक के साथ पुलिस मेंं दर्ज प्रकरणों पर अनुसंधान कार्यवाही प्रगति की समीक्षा कर रहे थे। उन्हाेंंने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अवैध खनन गतिविधियों के जीरो टोलरेंस के निर्देश के क्रम में संयुक्त जांच अभियान चलाया गया और अभियान के दौरान दर्ज प्रकरणों पर अनुसंधान कार्य पूरा कराकर संबंधित न्यायालयों में चालान पेश कराने की मोनेटरिंग व्यवस्था को मजबूत किया गया। प्रदेश में दर्ज 3256 प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) में से 2956 प्रकरणों में अनुसंधान पूरा कराकर संबंधित पुलिस थानों द्वारा सक्षम न्यायालयों मेें चालान पेश कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि 3256 में से मात्रा 82 एफआईआर पर अनुसंधान कार्यवाही जारी है वहीं केवल 218 प्रकरणों में पुलिस द्वारा एफआर लगाई गई हैं।
माइंस व गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने भी पुलिस में दर्ज प्रकरणों पर त्वरित अनुसंधान कर कार्यवाही की पर जोर दिया जाता रहा है। खानमंत्री स्तर पर इस तरह के प्रकरणों को गंभीरता से लेने के साथ ही परस्पर समन्वय व प्रगति की सराहना की है। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि पुलिस विभाग व माइंस विभाग के बीच राज्य स्तर पर समन्वय के लिए एसएमई जयपुर श्री प्रताप मीणा को नोडल अधिकारी बनाया गया है वहीं सभी संबंधित एसएमई और एमई को संबंधित पुलिस अधीक्षकों से समन्वय बनाते हुए अनुसंधान कार्य को पूरा कराने के निर्देश दिए जाने के सकारात्मक परिणाम है कि पहली बार बहुत कम समय में दर्ज एफआईआरों में अनुसंधान पूरा करवाकर कोर्ट में चालान पेश करवाया गया है। मुख्यालय स्तर पर श्री योगेन्द्र कुमार सहवाल द्वारा मोनेटरिंग की जा रही है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा अवैध खनन गतिविधियों के खिलाफ राज्य सरकार की कार्यवाही के माध्यम से सख्त संदेश देना रहा है।
निदेशक माइंस संदेश नायक ने बताया कि प्रदेश में सर्वाधिक 1225 एफआईआर भीलवाड़ा में दर्ज करवाई गई थी जिसमें से 1118 प्रकरणों में कोर्ट में चालान पेश कर दिया गया है। इसी तरह से धौलपुर में 508 में से 486, दौसा में 165 में से 152, भरतपुर में 151 में से 59, बीकानेर में 61 में से 50, जैसलमेर में 26 में से 25, श्रीगंगानगर में 190 में से 188, झालावाड़ में 135 में से 131, बूंदी मेे 136 में से 131, पाली में 80 में से 79 उदयपुर में 84 में से 78, अजमेर में 22 में से 21, नागौर में 65 में से 61 सहित अधिकांश प्रकरणों में अनुसंधान कार्य पूरा करवाकर संबंधित थानों द्वारा कोर्ट में चालान पेश किया जा चुका है।
निदेशक नायक ने बताया कि राज्य सरकार माइंस विभाग सहित अभियान से जुड़े अधिकारियों व कार्मिकाेंं के साथ किए गए दुव्र्यवहार व मेनहैंडलिंग के प्रकरणों को भी गंभीरता से लिया है। उन्हाेंंने बताया कि विभिन्न थानों में दर्ज इस तरह के 71 मामलों में से 64 मामलों मेंं अनुसंधान कार्य पूरा कराकर संबंधित कोर्ट में चालान पेश करा दिया गया है। इस तरह के केवल दो प्रकरणों में एफआर लगी हैं वहीं 5 प्रकरणाें में अनुसंधान जारी है। उन्होेंने बताया कि विभाग मी मोनेटरिंग व्यवस्था को मजबूत करने के सभी क्षेत्रों में सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो रहे हैं।