बीकानेर abhayindia.com हिन्दी हमारी अस्मिता का प्रतीक है जो भारत की सभ्यता व संस्कृति के साथ उसके वैश्विक महत्त्व को स्थापित करती है। भारतेंदु हरिश्चन्द्र से लेकर महात्मा गाँधी ने हिन्दी के सामर्थ्य को पहचाना और उसे राष्ट्रीय पहचान दी। उक्त उद्गार हिन्दी दिवस पर आयोजित परिचर्चा के दौरान मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. घनश्याम व्यास ने छात्राओं के समक्ष व्यक्त किए।
कम्प्यूटर विभागाध्यक्ष रामकुमार व्यास, प्रवक्ता महेश पुरोहित, डॉ. अरूणा आचार्य, डॉ. अनीता मोहे भारद्वाज, डॉ. अशोक व्यास सहित अनेक प्रवक्ताओं ने हिन्दी भाषा के स्वरूप विशेषताएं साहित्य व साहित्यकारों के योगदान के साथ–साथ वर्तमान चुनौतियों से निपटने के उपायों पर प्रकाश डाला। इसी क्रम में छात्रा योगिता रंगा, शिल्पा सुथार, दिव्या चौधरी सहित अनेक छात्राओं ने हिन्दी भाषा विषयक कविता पत्रवाचन तथा सुझावों को छात्राओं से साझा किया।
कार्यक्रम के अगले चरण में राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा मनाये जा रहे पखवाडे के तहत राष्ट्रीय सेवा योजना अधिकारी डॉ. अनीता मोहे भारद्वाज, डॉ. सीमा भट्ट तथा मुकेश बोहरा ने जल संरक्षण के तहत वर्षा जल संरक्षण उन्नत व परम्परागत तकनीकों पर विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर अधिकारी मुकेश बोहरा ने कहा कि हमें यह समझना होगा कि जल है तो कल है, डॉ. भारद्वाज ने इस अवसर पर वर्षा जल संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का आहृान करते हुए वर्षाजल संरक्षण की अनेक तकनीकों की जानकारी दी।
अंतिम चरण में अनेक छात्राओं के विचार प्रस्तुतियों के बाद डॉ. सीमा भट्ट गोस्वामी ने भारतीय संस्कृति में जल में देवत्व की परिकल्पना को रखते हुए कहा कि वर्षाजल प्रकृति–प्रदत्त सर्वोच्च उपहार है, यह प्राकृतिक रूप से पर्यावरण संरक्षण के साथ जीवन–संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है। कार्यक्रम के समापन अवसर पर छात्राओं ने जल सरक्षण पर सामूहिक शपथ लेते हुए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।
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