Thursday, September 19, 2024
Hometrendingअटल-आडवाणी के साथ रहे, शेखावत से याराना, ऐसे थे रिखबदास बोड़ा, पार्टी...

अटल-आडवाणी के साथ रहे, शेखावत से याराना, ऐसे थे रिखबदास बोड़ा, पार्टी का झंडा ओढ़ाकर कार्यकर्त्‍ताओं ने दी श्रद्धांजलि

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

बीकानेर Abhayindia.com भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ भाजपा नेता रिखबदास बोड़ा का मंगलवार को लंबी बीमारी के बाद पीबीएम अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। बोड़ा के निधन के बाद बीकानेर भाजपा में शोक की लहर छा गई। भाजपा नेताओं ने शहर जिलाध्यक्ष विजय आचार्य के साथ बोड़ा के निवास पर पहुंचकर उनको भाजपा का झंडा ओढ़ाकर श्रद्धांजलि दी!

शहर जिलाध्यक्ष विजय आचार्य में कहा रिखबदास बोड़ा भाजपा के संस्थापक सदस्य थे। बोड़ा ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और वरिष्‍ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के साथ काम किया! भाजपा नामक पौधे को वटवृक्ष बनाने के बोड़ा का योगदान सदैव याद किया जाएगा! बोड़ा भाजपाइयों के दिल में हमेशा जिंदा रहेंगे और उनके आदर्शो को हमेशा पार्टी कार्यकर्ता याद करेगा।

वरष्ठि भाजपा नेता गोपाल गहलोत ने कहा कि रिखबदास बोड़ा ने नि:स्‍वार्थ भावना से जीवनपर्यंत भाजपा की सेवा की। आज के दौर में ऐसे जनप्रतिनिधि बहुत ही कम देखने को मिलते हैं। बोड़ा ने राजनीतिक पद की लालसा रखे बिना हमेशा कर्मठ और निष्‍ठावान रूप से पार्टी को सींचा।

आचार्य ने कहा वरिष्ठ भाजपा नेताओं में एक रिखबदास बोड़ा जनसंघ के समय से पार्टी से जुड़े थे! पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत के नजदीकी रहे बोड़ा ने बीकानेर के व्यापार मंडल में भी सक्रिय रहते हुए व्यापारियों के लिए सदैव संघर्ष किया। भाजपा नेता मोहन सुराणा, श्यामसुंदर चौधरी, हनुमान सिंह चावड़ा, मनीष सोनी, महेश व्यास, सांगीलाल गहलोत, पूर्व पार्षद नरेश जोशी, चंद्र मोहन जोशी, लक्ष्मण मोदी, रामकुमार व्यास ने बोड़ा के निवास स्थान पर जाकर बोड़ा को श्रद्धांजलि दी।

जनसेवक और एक विचारधारा के आधार स्तंभ थे रिखबदास बोड़ा : यशपाल

बीकानेर की राजनीति में एक साफगोई और स्पष्ट युग का अंत : वत्सस

बीकानेर। भाजपा के वरिष्ठ नेता रिखबदास बोड़ा के निधन पर बीकानेर शहर जिला कांग्रेस कमेटी ने अपना शोक व्यक्त करते हुए कहा की बीकानेर की राजनीति में एक सरल सभ्य और सिद्धांत की राजनीति के पर्याय का अंत हुआ है।

जिला अध्यक्ष यशपाल गहलोत ने कहा कि दिवंगत रिखबदास बोड़ा सच्चे जनसेवक थे। जरूरतमंद की सेवा के लिए सदैव प्रयासरत रहने वाले बोड़ा भाजपा विचारधारा के मजबूत आधार स्तंभ थे। उनका सरल व्यवहार लोगों को उनसे जोड़ता था। उनके निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी आत्मिक शांति की प्रार्थना करता हूं।

जिला संगठन महासचिव नितिन वत्सस ने कहा कि राजनीति के क्षेत्र में स्पष्ट कहने और सत्य के साथ रहकर हर पीड़ा को हरने वाले व्यक्तित्व थे बोड़ाजी। उनके निधन से बीकानेर की राजनीति के एक स्पष्ट युग का अंत हुआ है। उनके निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।

संघनिष्ठ और पार्टी के सच्चे सिपाही थे  रिखबदास बोड़ा : कामिनी विमल भोजक मैया

भारतीय जनता पार्टी बीकानेर परिवार के वरिष्ठ नेता रिखबदास बोड़ा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री जनकल्याणकारी योजना की राष्ट्रीय सचिव कामिनी विमल भोजक मैया ने कहा कि बोड़ा जैसे समर्पित और पार्टी के आदेश को सर्वोपरि मानने वाले  एक कर्मठ सिपाही थे। सादगी, सरलता और सबको साथ लेकर चलने वाले बोड़ा का निधन बीकानेर की राजनीति में एक अपूरणीय क्षति है। भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करते हुए परिजनों को संबल प्रदान करेंं।

सारा जीवन बड़ी ही सादगी से जिया बोडा ने : चौरू लाल सुथार

सामाजिक कार्यकर्ता चोरूलाल सुथार ने कहा कि राजस्थान के पूर्व मुख्य मंत्री व भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत से रिखबदास बोड़ा के के करीबी सम्बद्ध थे। बोड़ा ने अपना सारा जीवन बड़ी ही सादगी से जिया। वे निर्भीक व स्पष्टवादी नेता थे। वे अपनी सच्ची व कड़वी से कड़वी बात बड़े से बड़े नेताओं व किसी भी अधिकारी से कहने से हिचकिचाते नही थे। बोड़ा ने अपना पूरा जीवन भा.ज.पा.के लिए कार्य करने के लिए जिया व भा.ज.पा.परिवार को सौंपने के बावजूद किसी बड़े राजनैनिक पद पर नहीं रहे। जबकि एक समय वे जनसंघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी अपना दायित्व निभा चुके हैं। 1975 के आपातकाल के दौरान जब कांग्रेस विरोधी सभी नेताओं को पूरे देश मे पकड़-पकड़ कर जेलों में डाल दिया गया लेकिन जब बोड़ा को इसकी भनक लगी तो वे पूरे आपातकाल में पुलिस के हाथ नहीं लगे। उन्होंने पुलिस को जगह-जगह खूब छकाया भी। ऐसा भी सुनने में आया कि वे भेष बदलकर दिल्ली भी पहुंच गए थे वे। पुलिस भी उनके पीछे लगी हुई थी लेकिन वहां से भी वे निकलने में सफल हो गए। आज की राजनैतिक सोच के नेताओं व पुरानी पीढ़ी के राजनैतिक सोच के नेताओं में जमीन आसमान का फर्क है, पुराने नेता जहाँ पर थे वही रहे कभी उन्होंने दल बदल नहीं किया और आज की राजनीति में नेताओं का नजरिया सबके सामने है।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular