बीकानेर Abhayindia.com आरएनबी ग्लोबल यूनिवर्सिटी के प्रथम दीक्षांत समारोह का भव्य आयोजन रविवार को विश्वविद्यालय परिसर में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ शोभायात्रा के साथ हुआ। इस शोभायात्रा में विश्व विद्यालय में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर, एकेडमिक काउंसिल के सदस्य, मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि गण शामिल हुए।
शोभा यात्रा विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन से मधुर बैंड की स्वर लहरियों के साथ अपने निर्धारित मार्ग पर चलती हुई अकादमिक भवन तक पहुंची। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस दिनेश माहेश्वरी थे वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में राजस्थान उच्च न्यायालय के जस्टिस विजय विश्नोई और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली के संयुक्त सचिव डॉ अविचल कपूर उपस्थित थे।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की ओर से विश्व विख्यात कालबेलिया नृत्यांगना पद्मश्री गुलाबो सपेरा को डी लिट की मानद उपाधि प्रदान की गई। उपाधि प्राप्त करने के बाद डॉक्टर गुलाबो सपेरा ने अपने उद्बोधन में भ्रूण हत्या रोकने, बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने और समाज में बालिकाओं को उचित स्थान दिलवाने का आह्वान किया। गुलाबो सपेरा ने अपने जीवन संघर्ष की कहानी को बताते हुए उपस्थित जन समुदाय से इस आंदोलन में भागीदार बनने को प्रेरित किया।
कार्यक्रम में बीकानेर के प्रसिद्ध साहित्यकार नंदकिशोर आचार्य को भी डी लिट की मानद उपाधि प्रदान की गई। डॉ नंदकिशोर आचार्य ने अपने साहित्यिक जीवन की चर्चा करते हुए विद्यार्थियों को अनवरत प्रयास करते रहने की प्रेरणा दी और एक लक्ष्य को प्राप्त कर लेने के बाद दूसरे लक्ष्य की तरफ अग्रसर होने का आह्वान भी किया। डॉ आचार्य ने कहा कि जीवन में सदैव नए क्षितिज की तलाश करते रहना चाहिए यह तलाश जीवन को जीवन बनाए रखता है। डी लिट प्रदान करने की कड़ी में अलवर जिले जिले के पद्मश्री श्री श्याम सुंदर पालीवाल को भी जोड़ा गया। श्याम सुंदर पालीवाल ने अनेकों ग्राम पंचायत में बालिका के जन्म पर पेड़ लगाने की परंपरा आरंभ की है। साथ ही उन्होंने पेड़, पानी और बालिका तीनों की सुरक्षा और संवर्धन करने की बात पर बल दिया। इस अवसर पर भारत के वाटर मैन के रूप में प्रसिद्ध और मैग्सेसे अवार्ड विजेता राजेंद्र सिंह को भी डी लिट की मानद उपाधि प्रदान की गई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी ने अपने उद्बोधन में गांधी जी द्वारा बताए गए सात सामाजिक पापों की चर्चा की और विद्यार्थियों को अपने भावी जीवन में उन सभी पापों से दूर रहने की प्रेरणा भी दी। उन्होंने विद्यार्थियों को डिग्री प्राप्त कर लेने के पश्चात श्रेष्ठ नागरिक बनने का प्रयास करने का आग्रह भी किया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय के जस्टिस विजय विश्नोई ने संविधान के अनुच्छेद 51-क में उल्लेखित मूल कर्तव्यों की तरफ छात्रों को मुड़ने का आह्वान किया, साथ ही कहा कि अधिकारों से पूर्व दायित्वों का स्थान आता है इसलिए प्रत्येक छात्र को अपने जीवन में कैरियर बनाने के साथ–साथ राष्ट्र और समाज के प्रति अपने दायित्व को भी पूरी निष्ठा के साथ पालन करना चाहिए।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संयुक्त सचिव डॉ अविचल कपूर ने विद्यार्थियों को भावी जीवन के लिए अपनी शुभकामनाएं दी और विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों की शिक्षा के लिए उठाए जा रहे कदमों की सराहना की।
उसके पश्चात विद्यार्थियों को स्वर्ण पदकों का वितरण किया गया। साथ ही विद्यार्थियों को उपाधियां भी प्रदान की गई दीक्षांत समारोह के प्रारंभ और अंत में राष्ट्रगान बजाया गया। इस दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उनके अभिभावक बड़ी संख्या में मौजूद थे विद्यार्थियों के मध्य स्वर्ण पदक और उपाधि प्राप्त करने पर प्रसन्नता की लहर दौड़ गई।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार डॉ दीपाली गुप्ता ने विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। डॉ गुप्ता ने बताया कि विश्वविद्यालय निरंतर प्रगति की राह पर अग्रसर है और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रयासरत है। इस दिशा में विद्यार्थियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध करवाने के साथ–साथ उनके व्यवहारिक ज्ञान के लिए भी किए जा रहे प्रयासों के बारे में विस्तार पूर्वक बताया।
विश्वविद्यालय के चेयरमैन डॉ राम बजाज ने उपाधि प्राप्त करने वाले और स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को अपनी शुभकामनाएं दी और भविष्य में इसी तरह से कठोर परिश्रम करके देश और समाज का नाम रोशन करने का आह्वान किया।
विश्वविद्यालय के प्रेसिडेंट डॉक्टर जी. एस. करकरा ने समस्त आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया कार्यक्रम का संचालन एसोसिएट प्रोफेसर डॉ दीपाली मालोदिया किया। दीक्षांत समारोह के मीडिया प्रभारी अशोक प्रेम, सहायक आचार्य, स्कूल ऑफ लॉ ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा दीक्षांत समारोह के लिए कई दिनों से गहन तैयारियां की गई थी और इन तैयारियों में कई तरह की कमेटियों का निर्माण भी किया गया था जिसमें विश्वविद्यालय के शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक स्टाफ के अलावा विद्यार्थियों ने भी अपनी भूमिका का बेहतर ढंग से निर्वहन किया।