Friday, May 3, 2024
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भौतिक सुख-सुविधाओं के साथ बच्चों को समय और संस्कार दीजिए- डॉ. अहिल्या मिश्र

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हैदराबाद abhayindia.com राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन, इंडिया, वाजा इंडिया महिला विभाग, तेलंगाना इकाई और नई पीढ़ी पत्रिका, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में गत दिनों एक परिचर्चा गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया गया। जिसका विषय था- ‘नई पीढ़ी के नव निर्माण में महिलाओं की भूमिका’। यह परिचर्चा इससे पहले दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, विशाखापट्टनम और मध्याह्न (सूत्रधार संस्था, हैदराबाद) के साथ सफलतापूर्वक आयोजित की जा चुकी है। इस गोष्ठी की अध्यक्षता तेलंगाना इकाई की अध्यक्ष, सुप्रसिद्ध साहित्यकार, शिक्षा शास्त्री एवं अनुवादक डॉ. शकुन्तला रेड्डी ने की।

 

कार्यक्रम का संचालन महिला विभाग की संयुक्त सचिव सरिता सुराणा ने किया। संचालिका ने सर्वप्रथम कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. शकुन्तला रेड्डी को ससम्मान मंच पर आमंत्रित किया। तत्पश्चात् वाजा तेलंगाना इकाई के अध्यक्ष एन.आर. श्याम, वाजा इंडिया के महासचिव और नई पीढ़ी पत्रिका के संपादक शिवेन्द्र प्रकाश द्विवेदी, वाजा तेलंगाना इकाई की परामर्शदाता एवं मुख्य वक्ता डॉ. अहिल्या मिश्र, विशिष्ट आमंत्रित वक्ता मैनेजिंग पार्टनर, पाॅलीमर प्रोडक्ट्स, हैदराबाद की शिरीषा वन्दनापु और चक्र ग्रुप ऑफ कंपनीज, हैदराबाद की डायरेक्टर सुश्री क्रान्ति पोतलुरी को मंच पर आमंत्रित किया।

 

 

 

मंच सज्जा के पश्चात् अध्यक्ष डॉ. शकुन्तला रेड्डी ने शब्द-पुष्पों से सभी आमंत्रित अतिथियों और सदस्यों का हार्दिक स्वागत किया। उन्होंने सभी वक्ताओं और पदाधिकारियों का विस्तृत परिचय प्रस्तुत किया। स्वागत की इसी कड़ी में नई पीढ़ी पत्रिका के संपादक और वाजा इंडिया के महासचिव शिवेन्द्र प्रकाश द्विवेदी ने भी सभी आमंत्रित अतिथियों का अभिनन्दन किया। मुख्य वक्ता के रूप में अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि यह परिचर्चा एक दिन के लिए सीमित नहीं है। हमें इसे एक वैचारिक आन्दोलन बनाना है और जब तक हम किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच जाते, तब तक इसे जारी रखेंगे। आज किशोर वय के बच्चों में आत्महत्या की दर लगातार बढ़ती जा रही है।

 

वयस्क व्यक्तियों द्वारा आत्महत्या करने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन बच्चों द्वारा ऐसा करना निश्चय ही हम सबके लिए चिंताजनक है। 1-5 वर्ष तक बच्चे की 50 प्रतिशत समझ विकसित हो जाती है। 15 वर्ष तक 70 प्रतिशत और बाद में वह लगातार बढ़ती जाती है। एक आदर्श राष्ट्र के निर्माण में माताओं का बहुत बड़ा योगदान होता है क्योंकि माता ही अपने संस्कारों से बच्चे को अच्छा नागरिक बना सकती है।

 

 

मुख्य वक्ता डॉ. अहिल्या मिश्र ने अपने संबोधन में कहा कि मैं यहां पर उपस्थित सभी माताओं और खासकर टीनएजर्स बच्चों की माताओं से पूछना चाहती हूं कि हमने अपने बच्चों को समस्त भौतिक सुख-सुविधाएं तो प्रदान कर दी लेकिन हम उन्हें समय कितना देते हैं? उनके मन के भीतर क्या चल रहा है, वे क्या करना चाहते हैं इन सबको जानने के लिए हमें उनका दोस्त बनना पड़ेगा और एक ग्रैंड मां के रूप में वे अपने पोते-पोतियों के बहुत नज़दीक हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम चार साल के बच्चे के हाथ में मोबाइल तो पकड़ा देते हैं लेकिन वह उसका उपयोग कैसे कर रहा है, यह नहीं देखते। औरत अपने स्त्रीपन को बनाए रखे। आधुनिकता को अपनाएं लेकिन साथ में भारतीयता को न भूलें।

 

 

चर्चा को आगे बढ़ाते हुए विशिष्ट वक्ता शिरीषा वंदनापु ने कहा कि बच्चे की प्रथम गुरू मां होती है, इस दृष्टि से उसके शारीरिक और मानसिक विकास में एक मां की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है। आज के बच्चे कल के नागरिक हैं। उन्होंने एक स्त्री की अनेक भूमिकाओं पर प्रकाश डाला और कहा कि ग्लोबलाइजेशन के इस युग में महिलाओं को आगे बढ़ने के अनेक अवसर प्राप्त हो रहे हैं। आज महिलाएं घर की चारदीवारी लांघकर अन्तरिक्ष तक पहुंच गई हैं। उन्होंने अपना संबोधन तेलुगु भाषा में दिया। किशोर वय की पुत्री की माता सुश्री क्रान्ति पोतलुरी ने कहा कि अगर हमें एक मजबूत और चरित्रवान युवा पीढ़ी का निर्माण करना है तो उसकी शुरुआत हमें अपने घर से करनी होगी, मां से करनी होगी। आज बच्चों पर हर तरह का दबाव है।

 

 

मां-बाप बचपन से ही उन्हें डॉक्टर, इंजीनियर, आइएएस और बड़े अफसर बनने के लिए तैयार करते हैं, इसके लिए जरूरी है कि उनका आत्मविश्वास बढ़ाया जाए और उन्हें भावनात्मक और मानसिक तौर पर मजबूत किया जाए। उन्हें नकारात्मक विचारों से निकाल कर सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण किया जाए। उन्होंने अपना संबोधन अंग्रेजी भाषा में प्रस्तुत किया। वाजा तेलंगाना इकाई के अध्यक्ष एन.आर.श्याम ने कहा कि जब हम अपने इतिहास पर दृष्टिपात करते हैं तो पाते हैं कि अनेक ऐसी स्त्रियां हुई हैं, जिन्होंने अनपढ़ होते हुए भी अनेक आन्दोलनों का नेतृत्व किया और उसमें सफलता प्राप्त की।

 

 

उन्होंने तेलंगाना की प्रसिद्ध मेडारम जात्रा का उदाहरण देते हुए कहा कि सम्मक्का-सरक्का नामक दो बहनों ने आन्दोलन में भाग लेकर उसे सफल बनाया। आज ये जात्रा कुंभ मेले के बाद सबसे बड़ा मेला है। इसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। उन्होंने तेलुगु कवि अल्लमनारायण की मां पर कविता का सारांश प्रस्तुत करते हुए कहा कि एक मां बच्चे को इतना सक्षम बना देती है कि वह पूरी दुनिया देख सकता है। आज के इस वेबिनार में वक्ताओं ने हिन्दी, अंग्रेजी और तेलुगु तीनों भाषाओं में अपने विचार रखे, यह बहुत ही प्रसन्नता की बात है। हमें सभी भाषाओं के विकास के लिए कार्य करना चाहिए।

 

 

वरिष्ठ साहित्यकार एवं अनुवादक और वाजा तेलंगाना इकाई की उपाध्यक्ष हिन्दी रीडर डॉ. सुमन लता ने कहा कि जिस तरह से बांस के पौधे को 5 वर्ष तक लगातार सींचना पड़ता है, उसकी देखभाल करनी पड़ती है तब जाकर वह बढ़ता है ठीक वैसे ही एक बच्चे को जन्म से ही उचित परवरिश की आवश्यकता होती है। तभी वह आगे जाकर उत्तम नागरिक बनता है। डाॅ. सुरभि दत्त ने कहा कि बच्चों के मनोवैज्ञानिक विकास के लिए घर में बाल साहित्य का होना बहुत जरूरी है, जिसे पढ़कर वे अच्छी बातें सीख सकें। हमें नई पीढ़ी के नव निर्माण के लिए बहुत चिंतन और मनन की जरूरत है। डा टी.वसंता ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि महिला महान शक्ति है। आकाश का आधा भाग महिला है। छायावादी कवियों पंत, प्रसाद, निराला और महादेवी ने स्त्रियों की शक्ति और गुणों के बारे में कितना कुछ लिखा है। आंध्र भूमि तेलुगु में सब एडिटर,  तेलुगु पत्रकार डॉ.आर.लक्ष्मी ने वीडियो के माध्यम से अपना संदेश संप्रेषित किया।

 

 

संचालिका सरिता सुराणा ने कहा कि एक संतान के निर्माण में माता की भूमिका उसी दिन से प्रारम्भ हो जाती है, जब एक जीव उसके गर्भ में आता है। उसी दिन से उसके पालन-पोषण और संस्कार सिंचन की जिम्मेदारी आ जाती है और वह उम्र भर चलती है। एक मां के लिए उसका बच्चा हमेशा बच्चा ही रहता है। आज इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स बच्चों की आवश्यकता बन गए हैं। ऑनलाइन पढ़ाई समय की मांग है। लेकिन बच्चों को मोबाइल और कंप्यूटर देने के बाद ये जरूर देखें कि वे कहीं उनका दुरुपयोग तो नहीं कर रहे हैं? आज सोशल मीडिया नेटवर्क इतना ज्यादा विस्तार पा चुका है कि माउस की एक क्लिक में पूरी दुनिया सिमट गई है। इसलिए एक मां का यह प्रथम कर्तव्य बनता है कि वह अपने छोटे बच्चों को गैजेट्स का सही इस्तेमाल करना सिखाए। जब से कोरोना महामारी ने हमारे जीवन में प्रवेश किया है, तब से इनका दैनिक उपयोग बहुत बढ़ गया है। आज उसी के फलस्वरूप हम इस वेबिनार के माध्यम से एक-दूसरे से रूबरू हो रहे हैं। तेलंगाना इकाई की महासचिव डॉ. बी श्रीलक्ष्मी ने भी इस विषय पर अपने विचार रखे और कहा कि नई पीढ़ी के नव निर्माण में महिलाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।

 

 

अध्यक्षीय उद्बोधन में डाॅ.शकुन्तला रेड्डी ने सभी वक्ताओं के विचारों को उद्घृत करते हुए सभी का आभार व्यक्त किया और कहा कि एक मां के रूप में संतान के निर्माण में महिलाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। एक महिला बहन, बेटी, माता, पत्नी, बहू और अनेक अन्य भूमिकाओं का जीवन भर निर्वाह करती है। उन्होंने डाॅ. सुधा मूर्ति का उदाहरण देते हुए कहा कि आज इतने उच्च पद पर आसीन होकर भी वे समाज कल्याण के लिए और गरीबों के उत्थान के लिए कितने कल्याणकारी कार्य कर रही हैं, वे हम सबके लिए प्रेरणादायी हैं। उन्होंने उस समय इंजीनियरिंग की पढ़ाई की जब वह क्षेत्र लड़कियों के लिए एक तरह से वर्जित था।

 

 

माता-पिता को अपनी इच्छाएं बच्चों पर थोपनी नहीं चाहिए अपितु वे क्या बनना चाहते हैं, उसके लिए उन्हें सहयोग करना चाहिए। वेबिनार में भाग लेने वाले सभी पत्रकारों, साहित्यकारों और वक्ताओं ने इस बात पर अपनी सहमति जताई कि आज बच्चे हमसे बहुत आगे बढ़ चुके हैं। वे बहुत तेजी से विकास कर रहे हैं, हमें उनका सहयोगी बनना है, अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को उन पर थोपना नहीं है। जरूरी नहीं कि हर बच्चा डॉक्टर, इंजीनियर और आइएएस अफसर ही बने। हरेक बच्चे में अपनी एक विशेष क्षमता होती है, उसे विकसित करें। सबसे पहले उसे एक अच्छा इंसान बनाएं। कार्यक्रम में साक्षी समाचार के वरिष्ठ पत्रकार और तेलंगाना इकाई के संगठन सचिव के राजन्ना ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इसके साथ ही राज मिश्रा, अनिल कुमार, राजरानी शुक्ला, लाडली धानुका आदि ने भी इसमें अपनी सहभागिता निभाई। डॉ. बी श्रीलक्ष्मी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। शिवेन्द्र प्रकाश द्विवेदी ने वाजा तेलंगाना इकाई महिला विभाग को एक सफल वेबिनार के आयोजन के लिए और सभी सहभागियों को इसमें भाग लेने के लिए धन्यवाद दिया और फिर मिलने के वादे के साथ कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
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