








जयपुर Abhayindia.com भर्ती परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए गुरुवार को विधानसभा में लाए गए एंटी चीटिंग बिल पर बहस के दौरान भाजपा विधायकों ने सवाल खड़े किए। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि एंटी चीटिंग बिल यूपी सरकार के बिल की नकल है। नकल ही करनी है तो योगी सरकार चलाने के तरीके की भी कीजिए। यूपी में नकल करने वालों पर एनएसए के तहत कार्रवाई का प्रावधान है। यूपी के बिल के पूरे प्रावधान नहीं किए गए। राठौड़ ने कहा कि आज कई कोचिंग सेंटर भी पेपर लीक में शामिल रहते हैं, मैंने नेता प्रतिपक्ष को एक विज्ञापन दिखाया, जिसमें पटवार परीक्षा में गारंटेड सलेक्शन का दावा किया और सलेक्शन नहीं होने पर पैसा वापस करने का दावा किया था, यह बिना मिलीभगत नहीं हो सकता। कोचिंग सेंटर वाले जो दावा करते हैं, एक–एक महीने पहले पेपर के सवाल इनके पास चले जाते हैं।
उन्होंने कहा कि में चीट मामले में बड़े लोग बच गए हैं। पकड़े गए 11 लोगों की जमानत हो गई, क्योंकि 1992 के कानून में 3 साल तक की सजा का प्रावधान है और यही उनकी जमानत का आधार बना। प्रदीप पाराशर, भजनलाल जैसे आरोपी जेल से बाहर आ गए। राजीव गांधी स्टडी सर्कल से जुड़े डीपी जारोली, प्रदीप पाराशर के काले कारनामों पर इस बिल के जरिए सरकार पर्दा डालने की कोशिश कर रही है। जारोली ने सोशल मीडिया में लिखा था कि मुझे तो बलि का बकरा बनाया जा रहा है, असली किरदार तो बड़े ब्यूरोक्रेट और नेता हैं। उनके कहने से ही शिक्षा संकुल उन लोगों को सौंपा गया। यह बिल तो भविष्य में नकल करने वालों पर लागू होगा, लेकिन अब तक रीट की चीट में शामिल लोग बच जाएंगे। यह बिल पहले आता तो रीट की चीट वाले लोगों की अब तक जमानत नहीं होती।
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि पेपर लीक मामले में 1000 करोड़ का लेन–देन हुआ। उन्होंने कहा कि नकल रोकना सबसे बड़ी चुनौती है। क्या सरकार को नौजवानों के भविष्य के प्रति चिंता थी। सरकार ने अब तक लीपापोती के अलावा कुछ नहीं किया। रीट धांधली की जांच सीबीआई से क्यों नहीं करवाई? 1992 में भी सरकार नकल रोकने का बिल लाई थी। पूनिया ने कहा कि सरकार के संरक्षण में नकल हुई। सरकार का इकबाल खत्म हो गया। कानून पहले भी बहुत थे, पॉक्सो जैसा कानून बन गया फिर भी राजस्थान रेप में नंबर वन क्यों है? तो क्या केवल कानून बन जाने मात्र से नकल रुक जाएगी? नकल का कानून तो पहले से ही है।
सीएम अशोक गहलोत के सलाहकार संयम लोढ़ा ने बिल का विरोध करते हुए सदन में सरकार पर निशाना साधा है। लोढ़ा ने कहा– ऐसा प्रतीत होता है कि यह बिल सरकार दबाव में लाई है, जल्दबाजी में लाई है। पिछले दिनों कैबिनेट बैठक में जो वाकया हुआ उस पूरी बैठक का ब्यौरा छप गया, कैबिनेट की बैठक की गोपनीयता किसने भंग की, अब तक यह पता नहीं लगा कि किस मंत्री ने कैबिनेट की गोपनीयता भंग की या मीटिंग में बैठे किसी अफसर ने। फिर हम लाचारी दिखा रहे हैं, अपनी कमजोरी दिखा रहे हैं। हमने मान लिया है कि पेपर लीक होंगे, हम 10 साल सजा देंगे, 10 करोड़ जुर्माना वसूलेंगे। आप शासन लेकर बैठे हैं। आप में नैतिक बल होना चाहिए कि आगे पेपर लीक नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि अफसरों के निकम्मेपन की सजा आप दूसरों को देना चाहते हैं। किस बात की तनख्वाह देते हैं कि वे ढंग से एग्जाम नहीं करवा पाते हैं।
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