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जयपुर Abhayindia.com राजस्थान में सियासी संग्राम के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आज बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने विधायक दल की बैठक के बहिष्कार और उसके बाद हुए सियासी बवाल पर कहा कि कई बार कई कारणों से ऐसे फैसले हो जाते हैं। मुझे नहीं मालूम किन हालात में फैसला हुआ, जब विधायक दल की बैठक बुलाकर एक लाइन का प्रस्ताव पारित करना होता है तो ऑब्जर्वर आएंगे। कांग्रेस अध्यक्ष के बिहाफ पर ही ऑब्जवर आते हैं और हम उनसे उसी ढंग से बिहेव करते हैं। ऑब्जर्वर को भी चाहिए कि वे कांग्रेस अध्यक्ष की जो सोच, व्यवहार के ढंग से काम करें ताकि वह ऑरा बना रहे।
आपको बता दें कि सीएम गहलोत ने यह बात सचिवालय में गांधीजी को श्रद्धांजलि देने के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान कही। गहलोत ने कहा कि राजस्थान का केस अलग हो गया। यह तो हिस्ट्री में लिखा जाएगा। ऐसा क्यों हुआ, क्या कारण रहे, इस पर तो रिसर्च करना चाहिए। आम तौर पर जब सीएम जाने लगता है तो 80 से 90 परसेंट विधायक उसे छोड़ देते हैं। उन्हें नए सीएम से काम करवाने होते हैं तो वे उससे जुड़ते हैं। जब यह था कि मैं अध्यक्ष बन जाऊंगा तो नया सीएम आएगा। नए सीएम आने के नाम से इस कदर भड़क गए कि किसी की नहीं मानी।
गहलोत ने कहा कि उन्हें इतना क्या भय था कि, कैसे उन्हें मालूम पड़ा, मैं पता नहीं कर पाया, वो कैसे कर पाए। मैं दौरे पर था, तो पता ही नहीं था। ऐसी नौबत आई, हमारे सब नेताओं को सोचना चाहिए कि क्या हुआ? उन्होंने कहा कि हम सबमें कमियां हैं, उन्हें दूर करने का प्रयास करना चाहिए। हमारे लिए राजस्थान में सरकार बनाना जरूरी है। मैंने अगस्त में ही सोनिया गांधी से कह दिया था कि आप चाहें तो जो सरकार रिपीट कर सके, उसे सीएम बना दीजिए, मैं सीएम पद छोड़ दूंगा।
गहलोत ने कहा कि हाईकमान के आदेश होने के बाद एक लाइन का प्रस्ताव पारित करवाना हमारी परंपरा रही है। मैंने सोनिया गांधी से मिलकर कहा कि सीएलपी लीडर रहते मेरी जिम्मेदारी थी कि वह प्रस्ताव पारित करवाता, लेकिन वह नहीं हो पाया। जब पीसाीसी अध्यक्ष ने विधायकों से जाकर कहा कि आप चलिए। एक लाइन का प्रस्ताव पारित करने का तो कायदा होता है, तो विधायक गुस्से में बोले कि हमने तो इस्तीफे दे दिए। डोटासराजी ने कहा कि फिर गहलोत अध्यक्ष का फार्म नहीं भरेंगे। विधायकों ने कहा कि हमें फार्म से मतलब नहीं है, नहीं भरे तो न सही।
गहलोत ने कहा कि विधायकों ने डोटासरा से कहा कि हमारे अभिभावक तो दिल्ली जा रहा है, हमें किसके भरोसे छोड़कर जा रहा है? आप सोच सकते हो जिसने मेरी सरकार बचाई थी 102 विधायक थे, मैं कैसे उन्हें धोखा दे सकता हूं, इसलिए मैंने कांग्रेस अध्यक्ष से माफी मांगना मंजूर किया, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का पार्टी में इतना योगदान रहा है। मुझे तो संकोच हो रहा था, मैं उन्हें जाकर क्या कहूंगा।
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