Thursday, May 2, 2024
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बीकानेर के मास्टर प्लान को लेकर मंथन,दर्ज कराई जा रही आपत्तियां

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बीकानेर Abhayindia.com बीकानेर नगरीय विकास समिति बैठक करणीनगर स्थित कार्यालय में हुई। इस दौरान बीकानेर मास्टर प्लान 2023 में वरिष्ठ नगर नियोजक कार्यालय की ओर से जारी अधिसूचना 22 सितंबर से भू-उपयोग परिवर्तन पर आपत्तियां आमंत्रित की गई हैं।

साथ ही बीकानेर के विभिन्न वर्गों के लोगों से ऑन लाईन वार्ता भी की गई। बीकानेर के प्रबुद्ध जनों ने इस अधिसूचना के संदर्भ में इस बात पर चिन्ता व्यक्त की गई कि वर्ष 2002 में लागू बीकानेर मास्टर प्लान-2023 में वर्ष 2008 में 10 और गांव शामिल करने के बावजूद राज्य सरकार की ओर से बीकानेर के नगरीयकरण योग्य क्षेत्र को नहीं बढ़ाया गया।

बीकानेर शहर के विकास के लिए जरुरी मार्ग निर्देशक के रुप में मास्टर प्लान-2023 वर्तमान में प्रभावी है। पूर्व प्रभावी बीकानेर मास्टर प्लान-2006 के स्थान पर बीकानेर मास्टर प्लान-2023 राजस्थान नगर सुधार अधिनियम 1959 की धारा 5/1 के तहत बीकानेर प्रारुप मास्टर प्लान-2023 पर जनता की आपत्ति/सुझाव आमंत्रित करने के लिए अधिसूचना 22 दिसंबर को जारी कर प्रकाशित किया गया व अनुमोदन कर 22 अक्टूबर को लागू किया गया,इसमें 26 राजस्व ग्राम शामिल थे।

वर्ष 2008 में 10 राजस्व गांवों का क्षेत्र मास्टर प्लान-2023 में और शामिल किया गया। तत्समय राज्य सरकार को बीकानेर के मास्टर प्लान में शामिल किए गए क्षेत्र के हिसाब से नगरीयकरण योग्य क्षेत्र बढ़ाना चाहिए था, जो नहीं बढ़ाया गया। बीकानेर के विकास के लिए वर्तमान व प्रस्तावित रोड़ बाई पास से व अन्दर की सभी लिंक रोड़ के दौनों तरफ एक-एक किलोमीटर मिश्रित एवं अन्दर का क्षेत्र नगरीयकरण भू-उपयोग परिवर्तन के प्रस्ताव भिजवाए गए थे।

सरकार ने उन्हें रद्दी की टोकरी में डाल दिया। राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्णय की पालना में नगरीय विकास विभाग की ओर से सभी शहरों के जोनल व सेक्टर प्लान बनाने के आदेश बीकानेर नगर विकास न्यास व वरिष्ठ नगर नियोजक बीकानेर ने रद्दी की टोकरी के हवाले कर दिए। नतीजतन बीकानेर का सुनियोजित विकास होने के स्थान पर चारों और खातेदारी/गैरखातेदारी व राजकीय जमीनों पर अनियोजित अवैध आवासीय कॉलोनियों के बनने से बीकानेर का स्वरुप बिगड़ता जा रहा हैं।

हाल में कार्यालय वरिष्ठ नगर नियोजक, बीकानेर द्वारा एक व्यक्ति विशेष, बिल्डर की भूमि को रेलबाई के अलाईनमेंट को आड़ बनाकर झूठे तथ्यों के आधार पर ग्रीन बेल्ट से बाहर करने की कवायद की गई है। जबकि बीकानेर शहर के चारों ओर जन सामान्य आवास की समस्या से जूझ रहे हैं।

इस बारे में राजस्थान उच्च न्यायालय में दायर याचिका डी.बी. सिविल रिट 1554/2004 गुलाब कोठारी व अन्य बनाम सरकार में न्यायालय के निर्देष हैं कि मास्टर प्लान लागू होने के बाद स्थानीय निकाय सिर्फ व्यापक जनहित में भू-उपयोग परिवर्तन प्रस्तावित कर सकते हैं या सरकार भी सिर्फ व्यापक जनहित में भू-उपयोग परिवर्तन कर सकती है, किसी भी सूरत में व्यक्ति विशेष के निजी हित में भू-उपयोग नहीं करेंगे। लेकिन इस अधिसूचना के जरिए व्यापक जनहित में भू-उपयोग परिवर्तन नहीं किया जाकर, व्यक्ति विशेष(एक बिल्डर) को फायदा पहुंचाने के लिए भू-उपयोग परिवर्तन किया जा रहा है। जो न्यायालय के निर्देषों की अवमानना की श्रेणी में है।

यह बनाया आधार..

रेल फाटकों के सम्बन्ध में दायर रिट याचिका 443/2014 में राजस्थान उच्च न्यायालय की ओर से 06 सितंबर को स्थगन आदेष जारी किया हुआ है और रेल बाई पास या ऐलीवेटेड रोड़ किसी के लिए कोई भूमि अवाप्ति नहीं की जा रही है। जबकि नगर नियोजन विभाग की अधिसूचना में रेल बाई पास के लिए रेलवे की ओर से भूमि अवाप्ति को आधार बनाकर भू-उपयोग परिवर्तन की कवायद की जा रही है।

बीकानेर के व्यापक जनहित में इस अधिसूचना के विरुद्ध आपत्तियां दर्ज कराने के लिए जन जागरुकता के तहत बीकानेर नगरीय विकास समिति कार्यकर्ताओं की ओर से जिला उद्योग संघ, बीकानेर उद्योग व्यापार मण्डल, बीकानेर बार एसोसिएशन, बीकानेर सर्राफा समिति, महापौर व पार्षदों, प्रबुद्धजनों व जन सामान्य से सम्पर्क कर नगरीय विकास विभाग की ओर बीकानेर की जनता से की जा रही अन्यायपूर्ण, भेदभावपूर्ण विधि विरुद्ध कार्यवाही के विरोध में अधिकाधिक आपत्तियां दर्ज कराने का आव्हान किया गया है।

इस क्रम में बीकानेर के वरिष्ठ अधिवक्ता आर.के.दासगुप्ता,वरिष्ठ उद्योगपति कन्हैयालाल बौथरा और पत्रकार अशोक माथुर ने मुख्य नगर नियोजक, जयपुर व वरिष्ठ नगर नियोजक, बीकानेर को आपत्तियां भेजी जा चुकी हैं। बीकानेर नगरीय विकास समिति की ओर हजारों की संख्या में बीकानेर के प्रबुद्ध नागरिकों की आपत्तियां दर्ज कराए के लिए अभियान चलाया जा रहा है।

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