








समापन समारोह में तीन वरिष्ठ पुरातत्वविदो का सम्मान भी किया गया, जिसमें कोटपूतली के डॉ. मुरारी लाल शर्मा को शैल चित्रों पर किए गए शोध के लिए ‘श्री वाकणकर’ सम्मान, डॉ मुक्ति पाराशर को ‘कला इतिहास श्री’ तथा ओम प्रकाश शर्मा को ‘इतिहास नायक’ की उपाधि से सम्मानित किया गया।
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सत्र के प्रारंभ में प्रोफेसर बी. एल. भादानी ने बीकाजी फूड्स इंटरनेशनल और विश्वनाथ संयास आश्रम द्वारा अधिवेशन के आयोजन के लिए आर्थिक सहयोग के लिए उनको धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने अधिवेशन द्वारा पारित प्रस्ताव का उल्लेख करते हुए कहा कि कोलायत तहसील के झझू गांव में स्थित पालीवालों की छतरियों का संरक्षण होना चाहिए तथा इसके लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजने की सदन में स्वीकृति ली। इसी तरह शैलचित्रों के संरक्षण के लिए भी एक प्रस्ताव सदन द्वारा पारित किया गया।
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सचिव डॉ. रितेश व्यास ने दो दिवसीय अधिवेशन की रूपरेखा सदन के समक्ष प्रस्तुत की। इसी दौरान सर्वश्रेष्ठ शोध पत्रों के लिए तीन शोधार्थियों का सम्मान किया गया जिसमें अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शब्बीर अहमद, हैदर तथा उदयपुर के हंसमुख सेठ थे।
समापन समारोह में श्याम महर्षि, डॉ. पंकज जैन, डॉ. तेज करण चौहान, डूंगर महाविद्यालय के डॉ. चंद्रशेखर कच्छावा, डॉ. बृजरतन जोशी एवं महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय से डॉ. राजेंद्र कुमार, डॉ. मुकेश हर्ष तथा एनएसपी महाविद्यालय के गोपाल व्यास आदि उपस्थित रहे। समापन अवसर पर ज्ञान विधि पीजी महाविद्यालय के वरिष्ठ व्याख्याता डॉ. सीताराम ने इस अधिवेशन को महाविद्यालय में आयोजित करने के लिए कॉन्ग्रेस के सदस्यों का आभार जताया।





