Friday, September 20, 2024
Hometrendingरक्षाबंधन पर रहेगा भद्रा का साया, जानें- राखी बांधने का श्रेष्‍ठ मुहूर्त

रक्षाबंधन पर रहेगा भद्रा का साया, जानें- राखी बांधने का श्रेष्‍ठ मुहूर्त

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

बीकानेर Abhayindia.com पंचांग के अनुसार, भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार हर वर्ष श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है और इसबर बार 19 अगस्त 2024, सोमवार को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा।

पूर्णिमा तिथि :  19 अगस्त, सोमवार को पूर्णिमा तिथि सूर्योदय से रात्रि 11:56 तक व्याप्त रहेगी।

भद्रा समय : 19 अगस्त, सोमवार के दिन भद्रा प्रातः सूर्योदय से दोपहर 01:35 तक रहेगी।

भ्रद्रा पाताल लोक में : इस दिन मकर राशि में चंद्रमा होने के कारण भद्रा पाताल लोक में निवास करेगी, अतः पाताल लोक की भद्रा रहेगी।

रक्षाबंधन का समय/मुहूर्त : 19 अगस्त 2024, सोमवार (दोपहर 02:02 से रात्रि 09:05 तक)

वैसे तो इस बार मकर राशि में चंद्रमा होने की वजह से भद्रा पाताल लोक में रहेगी और पाताल लोक की भद्रा ज्यादा चिंताजनक (अशुभ) नहीं मानी जाती। लेकिन, फिर भी भद्रा दोपहर 01:35 पर समाप्त हो जाएगी उसके उपरांत आप राखी बांध सकते हैं।

राखी बांधने का मुहूर्त : दोपहर 02:02 से रात्रि 09:05 तक

रक्षा बंधन अपराह्न मुहूर्त : दोपहर 02:02 से शाम 04:19 तक

रक्षा बंधन प्रदोष मुहूर्त : शाम 06:56 से रात्रि 09:07 तक

दिए गए तीनों चौघड़िये का समय भी रक्षाबंधन के लिए शुभ है-

चर का चौघड़िया : दोपहर 02:02 से दोपहर 03:40 तक

लाभ का चौघड़िया : दोपहर 03:40 से शाम 05:18 तक

अमृत चौघड़िया : शाम 05:18 से शाम 06:56 तक

वैदिक परंपरा का हिस्‍सा

* रक्षा सूत्र या मौली बांधना वैदिक परंपरा का हिस्सा है. यज्ञ के दौरान इसे बांधे जाने की परंपरा तो पहले से ही रही है, लेकिन इसको संकल्प सूत्र के साथ ही रक्षा-सूत्र के रूप में बांधे जाने की वजह भी है और पौराणिक संबंध भी है।

* मौली एक तरह का संकल्प सूत्र है, इसे बहनें अपने भाई के हाथ पर बांधकर भगवान से उसकी लंबी आयु की कामना करती है और भाई इस संकल्प सूत्र को बंधवा कर उसकी रक्षा व अन्य दायित्वों का संकल्प लेता है।

मौली करती है रक्षा

* मौली को कलाई में बांधने पर कलावा या उप मणिबंध कहते हैं। हाथ के मूल में 3 रेखाएं होती हैं जिनको मणिबंध कहते हैं। भाग्य और जीवन रेखा का उद्गम स्थल भी मणिबंध ही है। इन मणिबंधों के नाम शिव, विष्णु और ब्रह्मा हैं। इसी तरह शक्ति, लक्ष्मी और सरस्वती का भी यहां साक्षात वास रहता है। जब कलावा का मंत्र रक्षा के लिए पढ़कर कलाई में बांधते हैं तो ये तीन धागों का सूत्र त्रिदेवों और त्रिशक्तियों को समर्पित हो जाता है, जिससे रक्षा-सूत्र धारण करने वाले प्राणी की सब प्रकार से रक्षा होती है। भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन आप सभी के लिए मंगलमय रहें। -मोहित बिस्सा, ज्योतिषाचार्य,  7976099812

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular