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मुकेश पूनिया/बीकानेर abhayindia.com फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के अफसर कितने सतर्क हैं, इसका अंदाजा जिला मुख्यालय में चल रहे मेडिकल स्टोर को देखकर सहज ही लगाया जा सकता है। खबर है कि शहर में निजी अस्पतालों के समीप और चिकित्सकों के घरों के पास बड़ी तादाद में मेडिकल स्टोर बिना फार्मासिस्ट के चल रहे हैं। वहीं, अधिकांश मेडिकल स्टोर पर चिकित्सकों की पर्ची के बिना ही मरीजों को दवाएं दी जा रही है। इसके कारण कई बार मरीजों की जान पर बन आती है।
विशेषज्ञों के अनुसार बगैर फार्मासिस्ट मेडिकल स्टोर शुरू नहीं किया जा सकता। ऐसे में विभाग के ढुलमुल रवैये के कारण बगैर फार्मासिस्ट के जगह-जगह दुकानें चल रही हैं। शहर की बात करें तो यहां चल रही हर तीसरी दुकान बिना फार्मासिस्ट के संचालित हो रही है। जहां बिना प्रशिक्षण प्राप्त युवक-युवतियां मरीजों को दवा बेच रहे हैं। यह मामला औषधि नियंत्रण विभाग की जानकारी में होने के बावजूद अधिकारियों ने आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
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अधिकारी कर रहे खानापूर्ति : बीकानेर में बड़े स्तर पर फल-फूल रहा अवैध मेडिकल स्टोर का धंधा औषधि नियंत्रण विभाग के बूते से बाहर होता नजर आ रहा है। विभागीय अधिकारी अवैध मेडिकल स्टोर की जांच के नाम पर निरीक्षण के लिए दौरा जरूर करते हैं, लेकिन यह दौरा महज कागजी औपचारिकताओं में सिमट कर रह जाता है। शहर में चल रहे एक ही पंजीकृत मेडिकल की आड़ में कई स्टोर खोल रखे हैं। वहीं, इन पर किसी फार्मासिस्ट तक नहीं होता है।
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यह है नियम : किसी भी मेडिकल स्टोर पर ड्रेस कोड में फार्मासिस्ट को खुद बैठना अनिवार्य है। वहीं फार्मासिस्ट चिकित्सक की पर्ची के आधार ही दवा देने का प्रावधान है। चिकित्सक के बिना पर्ची के दवा देने व ड्रेस कोड सहित अन्य नियमों की अवहेलना करने पर मेडिकल फार्मा का लाइसेंस विभाग को निरस्त करने का अधिकार होता है। वहीं मेडिकल पर निर्धारित दवाओं की सूची, निर्धारित दरें, प्रतिबंधित दवाएं मेडिकल स्टोर में नहीं रखने, मरीज को मेडिकल स्टोर में ड्रिप नहीं चढ़ाने सहित कई नियम तय हैं। जांच में दोषी पाए जाने पर फार्मासिस्ट का लाइसेंस निरस्त किया जा सकता है।
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