Thursday, May 9, 2024
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मुझे लगी श्याम संग प्रीत दुनिया क्या जाने, भक्ति रस में डूबे श्रद्धालु

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बीकानेर abhayindia.com श्रीकृष्ण के प्रेम में पड़कर गोपियां अपनी सुध-बुध खो बैठी थी। वे भगवान श्रीकृष्ण से इतना प्रेम करती थी कि उनका शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता। जिस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने रासलीला रचाई वह  शरद ऋतु की अद्र्धरात्रि थी। उस वक्त आकाश में पूर्ण चन्द्रमा वातावरण को और भी मोहक बना रहा था। भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी पर ऐसी तान छेड़ी की गोपियां अपने सभी काम छोड़कर अपनी सुध-बुध खोकर उस ओर चल पड़ी जिस ओर से बांसुरी का स्वर आ रहा था।

भगवान के प्रेम में डूबी गोपियां ‘मुझे लगी श्याम संग प्रीत दुनिया क्या जाने, मैंने छोड़ी जग की प्रीत दुनिया क्या जाने’ भजन के माध्यम से उन्होंने गोपियों की मन:स्थिति का वर्णन मार्मिक ढंग से किया। यह प्रसंग सुनाते हुए कथावाचन क्षमारामजी महाराज भी भाव-विभोर हो गए और उनके साथ-साथ पंडाल में उपस्थित सैंकड़ों लोग भी यह प्रसंग सुन गद्गद् हो गए।

Bikaner Gopeshver Mahadev Temple
Bikaner Gopeshver Mahadev Temple

श्रीगोपेश्वर महादेव मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का बुधवार को 12 वां दिन रहा। क्षमारामजी महाराज ने कहा कि गोपियों को श्रीकृष्ण के प्रति अत्यधिक मोह था और भगवान यह जानते थे कि गोपियां उनसे प्रेम तो करती है, लेकिन उन्हें प्रेम की परिभाषा नहीं मालूम। गोपियों को यह अभिमान था कि कृष्ण उन्हें भी अत्यधिक प्रेम करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने ऐसी लीला रचाई की गोपियां को हुए अभिमान का स्मरण कराया। तब गोपियों को भगवान श्रीकृष्ण का प्रेम और उसकी लीला का भान हुआ। महाराज ने कहा कि रासलीला भगवान में भक्ति बढ़ाने वाली लीला है जिसे बड़े-बड़े योगी स्मरण कर अपने मन के विकारों को दूर करते हैं।

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