बीकानेर Abhayindia.com बीकानेर में शुक्रवार को हुई बारिश से भीनासर स्थित श्री मुरली मनोहर मंदिर का मोलायत भवन का बहुत बड़ा भाग गिर गया। गनीमत रही कोई जनहानि नहीं हुई। बताया जा रहा है कि देवस्थान विभाग की अनदेखी के चलते मंदिर को लगातार नुकसान पहुंच रहा है। इसके बावजूद इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा।
सामाजिक कार्यकर्ता चौरू लाल सुथार ने अवगत कराया कि भीनासर स्थित श्री मुरली मनोहर मंदिर जिसका निर्माण बीकानेर रियासत नरेश महाराजा रतन सिंह के कार्यकाल में संवत 1908 माह बैशाख सुदी दूज को सम्पन्न हुआ। क्योंकि भीनासर क्षेत्र जो बीकानेर का ही क्षेत्र है इसकी भी स्थापना भी इस मंदिर निर्माण के ही साथ साथ हुई थी। राजस्थान में विख्यात यह मंदिर जन जन की अटूट आस्था का अपार श्रद्धा का केंद्र बिंदु है।
सुथार ने बताया कि 1956 से यह मंदिर देवस्थान विभाग के अधीन है। लेकिन, गत 25-26 वर्षों से मंदिर की मररमत, रंगरोगन व देखभाल के अभाव में मंदिर के पूर्वी भाग में बने कमरे पहले ही गिर कर मलबे में तब्दील हो चुके है और कमोबेश यही स्थिति निज मंदिर के पास बने मोलायत आवास की है जो पानी के रिसाव से दीवारों में मोटी-मोटी दरारें पडने के कारण जर्जर अवस्था की और अग्रसर होने के कगार पर पहुंच गई थी।
सुथार ने बताया कि इस संबंध में उन्होंने 4 अप्रैल 2024 को देवस्थान विभाग मंत्री जोरा राम कुमावत, ओंकार सिंह लखावत, अध्यक्ष, राजस्थान धरोहर प्राधिकरण, जयपुर के अलावा केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, विधायक सुश्री सिद्धि कुमारी, जेठानंद व्यास को प्रेषित कर मंदिर की सम्पूर्ण मररमत आदि कार्यों के लिए आग्रह किया था। जिस पर संज्ञान लेते हुए बीकानेर पश्चिम विधायक जेठा नंद ने 11 अप्रैल 2024 को एक पत्र देवस्थान मंत्री जोराराम कुमावत को लिखकर मंदिर की ऐतिहासिक एवं धार्मिक आस्था को ध्यान में रखते हुए मंदिर की मररमत, रंग रोगन एवम टिन शेड लगवाने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करने के लिए निवेदन किया गया।
इसके प्रत्युत्तर में शासन उप सचिव,देव स्थान विभाग ने अपने पत्र 21 जून 2024 को विधायक जेठानंद व्यास को अवगत कराया कि इस संबंध में सहायक आयुक्त, देव स्थान विभाग, बीकानेर ने मंदिर में मररमत एवम जीर्णोद्वार की अत्यंत आवश्यकता अनुशंषा की गई है तथा विभागीय सहायक अभियंता एवम प्रारूपकर को प्रस्ताव एवम तखमीना तैयार करने के लिए निर्देशित किया गया है।
सुथार ने बताया कि शुक्रवार की बारिश में मंदिर का बहुत बड़ा भाग पानी के जबरदस्त रिसाव से भरभराकर गिर गया। गनीमत रही कि कोई जनहानि नही हुई। यह सब देव स्थान विभाग के अधिकारियों की घोर लापरवाही व उदासीनता की ही बदौलत हुआ। जब मंदिर उनके अधीन है तो उसकी देखभाल व समय समय पर मररमत आदि करने की जिम्मेदारी भी विभाग की ही है, क्या अधिकारियों को केवल मोटी तनख्वाह लेने के लिए ही यहाँ बैठा रखा है। क्या उनका दायित्व नहीं बनता की मंदिरों की और भी ध्यान दें। यह सब कुछ भी आम जनता को ही करना पड़ता है फिर इस विभाग का क्या औचित्य है।
सुथार ने इस पर अफसोस जताते हुए कहा कि इस मंदिर की तुरंत सुध ली जावे व समय रहते निज मंदिर की सम्पूर्ण मररमत आदि की जाकर उसको गिरने से बचाया जावे। जो काम रियासत काल मे राजा महाराजाओं व सेठ साहूकारों द्वारा करवाया गया है वैसा काम आज की सरकारों व अफसरों के बस की भी बात नही है। काम वही मजबूत व सफल होता है जिसके लिए सच्ची सोच व सच्ची लगन हो व देशहित में कार्य किया गया हो लेकिन यह सब तो आज के युग मे गायब सी ही हो गई है जिसका नतीजा आज समाज व देश भुगत रहा है।