Sunday, April 20, 2025
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डॉ. बामणिया ही रहेंगे उदयपुर के सीएमएचओ पद पर

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जोधपुर Abhayindia.com राजस्थान उच्च न्यायालय की एकलपीठ के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने उदयपुर सी.एम.एच.ओ. को राहत प्रदान करते हुए पूर्व सी.एम.एच.ओ द्वारा अपने स्थानांतरण आदेश के विरूद्व प्रस्तुत रिट याचिका को प्रारम्भिक स्तर पर ही खारिज कर दिया गया। उदयपुर के पूर्व सीएमएचओ डा. दिनेश खराडी का स्थानान्तरण सीएमएचओ के पद से जिला अस्पताल डूगंरपुर में  तीन अगस्‍त 22 के आदेश से कर दिया गया एवं इसी आदेश से डा. शंकर बामणिया का स्थानान्तरण सिटी डिस्पेसरी हाउसिग बोर्ड उदयपुर से सीएमएचओ के पद पर कर दिया गया।

विभाग के इस आदेश 03.8.2022 के विरूद्व डा.दिनेश खराडी ने एक रिट याचिका माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की। उक्त रिट याचिका में डा. शंकर बामाणिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. सचिन आचार्य, अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा एवं धनराज खींची ने उक्त न्यायालय के समक्ष तर्क प्रस्तुत किया कि प्रस्तुत रिट याचिका उच्च न्यायालय के समक्ष पोषणीय नहीं है क्योंकि डॉ. दिनेश खराडी द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका प्रस्तुत करने के साथ साथ एक अपील राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण में भी 06.08.2022 को स्थानान्तरण आदेश 03.08.2022 के विरूद्व प्रस्तुत की जा चुकी है। उक्त अपील को 10.08.2022 को परिवारिक कारणों के आधार पर प्रार्थी द्वारा विड्रो कर लिया गया एवं यह तथ्य प्रस्तुत रिट याचिका मे प्रार्थी द्वारा कही भी प्रकट नहीं किये गये हैं एवं अधिकरण के समक्ष प्रस्तुत अपील को विड्रो करने वाले प्रार्थना पत्र में रिट याचिकाकर्ता के हस्ताक्षर भी है। इसलिए यह भी नही कहा जा सकता कि अपील को विड्रो करने की जानकारी यचिकाकर्ता को नही हो। डॉ. शंकर बामणिया के अधिवक्ताओं का उच्च न्यायालय के समक्ष यह भी तर्क था कि स्थानान्तरण आदेश 03.08.2022 के विरूद्व अधिकरण के समक्ष प्रस्तुत अपील को 06.08.2022 को पारिवारिक कारणों से विड्रो करने के बाद उसी स्थानान्तरण आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती देना एवं तथ्यों को उच्च न्यायालय के समक्ष प्रकट नहीं करना उक्त कृत्य विधि विरूद्व एवं विधिक सिद्वान्तों के विरूद्व है। इसलिए प्रस्तुत अपील को खारिज किया जावें।

अप्रार्थी के अधिवक्ता के तर्को से सहमत होते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय ने डॉ. दिनेश खराडी द्वारा अपने स्थानान्तरण आदेश के विरूद्व प्रस्तुत अपील को खारिज करते हुए प्रारम्भिक स्तर पर तथ्य छिपाने एवं न्यायालय के समक्ष सही तथ्यों को प्रकट नहीं करने के आधार पर खारिज करते हुए वर्तमान सीएमएचओ डॉ. शंकर बामणिया को राहत प्रदान की।

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