








बीकानेर Abhayindia.com श्रीविश्वकर्मा दिवस पर केंद्रीय व राज्य सरकार के उपक्रमों व अर्ध सरकारी उपक्रमों में राजकीय अवकाश घोषित करने की मांग को लेकर बीकानेर के सामाजिक कार्यकर्त्ता चौरूलाल सुथार ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री राजथान को पत्र प्रेषित किए हैं।
पत्र में सामाजिक कार्यकर्त्ता सुथार ने बताया कि पूरे भारत वर्ष में हर साल की भांति इस वर्ष भी 17 सितंबर को श्रीविश्वकर्मा दिवस बड़े ही धूम धाम व हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। श्री विश्वकर्मा जी किसी जाति व धर्म विशेष से सम्बद्ध नहीं रखते है अपितु श्री विश्वकर्मा जी को पूरी दुनियां का सबसे पहला इंजीनियर व वास्तुकार माना जाता है। वेद पुराणों के अनुसार, श्री विश्वकर्मा जी ने ही देवताओं के भवनों व महलों का निर्माण किया। श्री विश्वकर्मा पूजा दिवस हिन्दू धर्म मे ब्रहमाण्ड के दिव्य वास्तुकार भगवान श्री विश्वकर्मा को समर्पित है।
पत्र में बताया गया है कि श्री विश्वकर्मा पूजा दिवस हर साल भाद्र के बंगाली महीने के अंतिम दिन विशेष रूप से भद्रा संक्रांति पर निर्धारित की जाती है। विश्वकर्मा पूजा दिवस वर्षा ऋतु के अंत व शरद ऋतु के शुरू में मनाए जाने की परंपरा है। ज्योतिष शास्त्रानुसार इसी दिन सूर्य कन्या राशि मे प्रवेश करता है। इसलिए कन्या संक्रांति भी प्रतिवर्ष 17 सितंबर को ही पड़ती है। जैसे मकर सक्रांति अमूमन 14 जनवरी को ही पड़ती है। ठीक उसी प्रकार विश्वकर्मा पूजा दिवस भी 17 सितंबर को ही मनाने की परंपरा है। सुथार ने बताया कि हम अपने प्राचीन ग्रंथों एवम पुराणों आदि का अवलोकन करें तो पाएंगे कि आदिकाल से ही श्री विश्वकर्मा जी शिल्पी अपने अति विशिष्ट ज्ञान व विज्ञान के कारण ही न केवल मानव जाति अपितु समस्त देवताओं द्वारा भी पूजित व वन्दित है। श्री विश्वकर्मा जी को देवताओं का वर्धकि या देव् बढ़ई भी कहा गया है यही नहीं, वे सृष्टि के प्रथम सूत्रधार के रूप में भी माने जाते है।
सुथार ने बताया कि 17 सितंबर के दिन उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान व पूरे भारत वर्ष के प्रायः सभी राज्यों व जिलों के उद्योगों, फैक्टरियों, लोहे मशीनों तथा औजारों से सम्बंधित कार्य करने वाले श्री विश्वकर्मा की विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं। सभी कल कारखानों, फैक्टरियों में अवकाश रखा जाता है। लेकिन केंद्रीय व राज्य सरकारों के उपक्रमों में अवकाश नहीं रखा जाता है। यह पूजा सभी शिल्पकारों, कलाकारों, बुनकरों, काश्तकारों, कारीगरों व बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों द्वारा भी की जाती है। सुथार पत्र में 17 सितंबर 2022 को व आगे भी इसी दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित करने का आग्रह किया है व यह अवकाश पूरी सृष्टि के रचयिता व वास्तुकार भगवान श्री विश्वकर्माजी को समर्पित करने का भी आग्रह किया है।





