Monday, March 3, 2025
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स्वतंत्रता आंदोलन में भारतीय वैज्ञानिकों के योगदान पर एनआरसीसी में राजभाषा कार्यशाला आयोजित

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बीकानेर Abhayindia.com भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्द्र (एनआरसीसी) में गुरुवार को ‘स्वतंत्रता आंदोलन में भारतीय वैज्ञानिकों का योगदान’ विषयक राजभाषा कार्यशाला का आयोजन किया गया। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य पर स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. पुरुषोत्तम परांजपे, सेवानिवृत्त आचार्य, डीएवी कॉलेज अजमेर ने कहा कि देश की आजादी में वैज्ञानिकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा जिन्होंने जन मानस में स्वाभिमान की भावना को जगाया।

अतिथि वक्ता ने प्रमुख रूप से तीन वैज्ञानिकों- जगदीश चन्द्र बसु, सी.वी. रमन, तथा प्रफुल्लचन्द्र राय की जीवनी एवं स्वतंत्रता में इनके महत्वपूर्ण योगदान का विस्तृत उल्लेख करते हुए कहा कि उस दौर में जब वैश्विक स्तर पर यूरोप के आविष्कार एवं ज्ञान की तूती बजती थी तो इन वैज्ञानिकों ने भारतीय प्राचीन वैज्ञानिक ज्ञान को संपूर्ण विश्व के समक्ष रखा जिससे भारत के प्रति वैश्विक स्तर पर एक आदर का भाव उत्पन्न हुआ। प्रो. परांजपे ने साहित्यकारों के रूप में बंकिमचन्द्र चटर्जी, मुंशी प्रेमचन्द, दिनकर आदि के योगदान की सराहना की। अंत में उन्होंने कहा कि किसी भी देश समाज का वैज्ञानिक जब जागता है तो कोई भी लड़ाई जीतीं जा सकती हैं।

इस अवसर पर केन्द्र निदेशक एवं कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. आर्तबन्धु साहू ने विषयगत व्याख्यान पर बोलते हुए कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन एवं इसमें विविध विधा से जुड़े विद्वानों के योगदान, किताबों में भी कई बार भलीभांति रूप से सामने नहीं आ पाता। उन्होंने मुख्य वक्ता की प्रशंसा करते हुए कहा कि व्याख्यान में जिस प्रकार से स्वतंत्रता में वैज्ञानिकों के योगदान का विश्लेषण किया गया है, इसकी दरकार है। डॉ. साहू ने कहा कि भारत के प्राचीन ज्ञान-विज्ञान की विकास यात्रा को देखें तो कई रौचक बाते सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि यदि हम चिंतन करें तो यह महसूस होगा कि भारत किसी से कम नहीं था, हमें भारतीयता पर गर्व करना चाहिए। डॉ. साहू ने इस मौके पर वैज्ञानिक लेखन को हिन्दी भाषा में अधिकाधिक बढ़ावा देने की बात भी कही।

केन्द्र के डॉ. सुमन्त व्यास, प्रधान वैज्ञानिक एवं नोडल अधिकारी, राजभाषा ने कार्यशाला के उद्देश्य एवं महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रतिभागियों को प्रस्तुत व्याख्यान से प्रेरित होकर नए तरीके से विश्लेषण करने के लिए प्रोत्साहित किया। कार्यशाला में डॉ. एम.डी. शर्मा, विभागाध्यक्ष (भौतिक), राजकीय डूंगर महाविद्यालय, बीकानेर ने भी शिरकत की।

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