मां,
तुम मर्यादाओं में जकड़ी हो।
निस्वार्थ भाव से कर्मरत हो।।
भरपूर ममता से भरी।
कुसुम–सितारों से सजी।।
सहनशीलता की मूरत।
निश्छल मन ज्यूं हो दर्पण।।
कभी रौद्र, कभी करुण।
रूप तुम धरती।।
रिश्ते– नातों के लिए।
क्या कुछ नहीं करती।।
अतुल्य प्रेम की अधिकारी हो।
बच्चों पर मां, तुम बलिहारी हों।।
मेरी मां तुम सबसे प्यारी हो।।
–चित्रा पारीक, बीकानेर