








जयपुर Abhayindia.com गहलोत सरकार के लिए संविदाकर्मियों को नियमित करने का मुद्दा गलफांस बना हुआ है। एक ओर जहां कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रदेश के बेरोजगार उत्तरप्रदेश जाकर धरना दे रहे हैं वहीं, दूसरी ओर वन मंत्री हेमाराम चौधरी और विधायक वेद प्रकाश सोलंकी संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के मुद्दे को लेकर सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं। आपको बता दें कि कांग्रेस ने चुनाव में सरकार बनने पर संविदाकर्मियों को नियमित करने का वादा किया था। हालांकि, सरकार बनने के बाद सरकार ने संविदाकर्मियों को लेकर कमेटी गठित कर दी, लेकिन कमेटी की रिपोर्ट आज तक नहीं आई है।
वन मंत्री हेमाराम चौधरी ने कहा है कि संविदाकर्मियों को नियमित करने का मुद्दा मैंने पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में भी उठाया था। मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीरता से सुना और अधिकारियों को इसे जल्द ही समाधान करने के निर्देश भी दिए थे।
विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने कहा है कि उपचुनावों से पहले भी सरकार ने संविदा कर्मियों से वादा किया था। उसे पूरा करना चाहिए। मंत्रिमंडल में एससी–एसटी को अच्छा प्रतिनिधित्व देकर अच्छा संदेश दिया गया है। संविदा कर्मियों को नियमित करने का वादा कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा है। इसमें कोई बड़ा खर्च भी नहीं आएगा तो इसे पूरा करने में क्या हर्ज है।
राजस्थान कांग्रेस : जिलाध्यक्षों के पैनल को हाईकमान की मंजूरी का इंतजार, खींचतान के चलते…
जयपुर। प्रदेश की गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार के बाद अब कांग्रेस में सबसे बड़ी चुनौती संगठन में खाली पड़े पदों पर नियुक्तियां करना है। जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए प्रदेश के दिग्गज नेताओं में खींचतान का दौर जोरों से चल रहा है। बताया जा रहा है जिन जिलों में जिलाध्यक्ष पद के लिए विवाद की स्थिति नहीं है वहां पहले चरण में जिलाध्यक्षों की घोषणा की जाएगी। इस चरण में करीब 20 जिलों के जिलाध्यक्ष फाइनल हो जाएंगे। इधर, कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए हाईकमान से मंजूरी का इंतजार है।
आपको बता दें कि कांग्रेस में अभी 39 जिलाध्यक्ष के पद हैं। जयपुर, जोधपुर, कोटा, अजमेर, उदयपुर, बीकानेर में शहर और ग्रामीण के जिलाध्यक्ष हैं। अब जयपुर, जोधपुर और कोटा में दो–दो शहर जिलाध्यक्ष बनाए जाने के बाद इन तीन जिलों में तीन–तीन जिलाध्यक्ष हो जाएंगे।
इसलिए हो रही देरी…
प्रदेश कांग्रेस में बड़े नेताओं की खींचतान के चलते ही सभी जिलों में जिलाध्यक्षों की नियुक्तियों का काम अटका हुआ है। हालांकि, अब आधे से ज्यादा जिलों में नामों पर सहमति बन चुकी है। लेकिन, अब भी कई जिलों में दो से तीन दावेदारों को लेकर एकराय नहीं बन सकी है।





