बीकानेर Abhayindia.com अक्षया द्वितीया नगर स्थापना और तृतीया पर बीकानेर शहर पतंगबाजी के पर्व में डूबा है।
लोग खुशी और उत्साह में जमकर पतंगबाजी भी कर रहे हैं, लेकिन इस बीच पतंगों के मांझे में उलझने के कारण बेजुबां पक्षियों की सांसें अटक रही है। लोग उत्साह से लबरेज है, मगर इन पक्षियों के दर्द को समझने वाले चंद सेवादार है, जो त्योहार-पर्व के बीच में भी इन बेजुबां पक्षियों के लिए सकारात्मक सोच रखते हैं।
अब तक डेढ़ दर्जन का उपचार…
सामाजिक कार्यकर्ता सुरेन्द्र कोचर ने पहल करते हुए मांझे से घायल हुए पक्षियों को अस्पताल ले जाकर उनका उपचार कराने से परहेज नहीं करते। कोचर के अनुसार बीते तीन-चार दिनों में 15-20 कपोतों को गोगागेट स्थित पशु चिकित्सालय में पहुंचा चुके हैं, जहां पर उनका उपचार करवा कर परिसर में ही स्थित पिंजरों में छोड़ रहे हैं, जहां पर एक संस्था उनके दाने-पानी की व्यवस्था में जुटी है।
सुरेन्द्र के अनुसार पैरों में उलझे मांझे को तो वो स्वयं अपने प्रयास से निकाल लेते हैं, लेकिन पक्षियों के पंख में उलझे मांझे के कारण उडऩे में मुश्किल होती है। ऐसे घायलों को वो अस्पताल पहुंचाते हैं। कोई भी पक्षी जब मांझे की चपेट में आकर घायल हो जाता है, तो कोचर की इस अनुठी सेवा के जज्बे को देखकर लोग उन्हें तुरंत बुलाते हैं।