Wednesday, May 8, 2024
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नवपद ओली पर्व के प्रथम दिन अरिहंत परमात्मा की पूजा व भक्ति

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बीकानेर abhayindia.com श्री जैन श्वेताम्बर तपागच्छ संघ की वरिष्ठ साध्वीश्री सौम्यप्रभा, बीकानेर मूल की साध्वीश्री सौम्य दर्शना, अक्षय दर्शना व परमदर्शना ने सोमवार को कोचरों के चौक के महिला उपासरे में नवपद ओली पर्व की साधना,आराधना व भक्ति तथा विभिन्न धार्मिक क्रियाओं का अनुष्ठान शुरू किया।

नवपद ओली पर्व आयोजन के संयोजक सुरेन्द्र बद्धाणी जैन ने बताया कि श्रावक-श्राविकाओं को करोना महामारी के कारण घर पर ही नवपद ओली की साधना करने की अपील की गई है। मंगलवार को सिद्ध पद की आराधना की जाएगी। अनेक श्रावक श्राविकाओं ने नौ दिवसीय आयम्बिल तप शुरू किया तथा नवंकार महामंत्र की विशेष जाप का अनुष्ठान सोमवार को ही शुरू कर दिया।

साध्वीश्री सौम्य प्रभा ने बताया कि देव,गुरु व धर्म ये तीनों ही तत्व सभी धर्मों में मान्य, पूजनीय व आराध्य है। इसलिए इसे तत्वत्रयी कहा गया है। इसमें नौ पद है, ये ही हमारी आत्मा को सिद्ध बना सकते है, इसका नाम सिद्धचक्र भी है। प्रथम दिन अरिहंत भगवान की भक्ति पूर्वक आराधना करने से असंख्य वर्षों में संचित पापों से मुक्ति मिलती है, आधि, व्याधि व उपाधि दूर होती है। शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शांति मिलती है। उन्होंने कहा कि ’’णमो  अरिहंताणं’’ पद का ध्यान और जाप करना चाहिए। इस पद की आराधना से सातों भयों से मुक्ति मिलती है और सात प्रकार के बड़े उच्च कोटि के गुणों की प्राप्ति होती है।

साध्वीश्री सौम्य दर्शना ने बताया कि नौ दिनों में भगवान अरिहंत के शुद्ध स्वरूप् का अनुभव करते हुए स्मरण व ध्यान करना है। साधना के दौरान संसार को भूल जाना  कर आत्मिक रूप् से अरिहंत परमात्मा का अनुभव प्राप्त करना है। काया की स्थिरता, चित की एकाग्रता के साथ पंच परमेष्ठी सर्वमंगलकारी ’’नवंकार महामंत्र’’ का जाप करना है। जाप करते समय दृष्टि नासिका पर स्थिर रखनी है और माला नाभि से ऊपर रखनी है।

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