








बीकानेरAbhayindia.com आज विधानसभा सत्र के प्रश्न काल में लूणकरणसर विधायक सुमित गोदारा ने बीकानेर के पीबीएम अस्पताल की कैंसर इकाई में व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर सरकार को घेरा।
उन्होंने सरकार के समक्ष सवाल किया कि बीकानर के आचार्य तुलसी रीजनल कैंसर सेन्टर में वर्ष 2015 से 2020 तक में कितने मरीजों का इलाज किया गया, कितानों की रेडियोथैरेपी, कीमोथैरेपी तथा कितने मरीजों का दोनों थैरेपी से इलाज किया गया गया।
वहीं गोदारा ने यह भी सवाल उठाया कि क्या यह सही है कि कीमोथैरेपी कराने वाले मरीजों की उक्त सेन्टर में संख्या बढ़ी है ? यदि हां, तो क्या सरकार कैंसर पीडित मरीजों के सुलभ इलाज के लिए आरपीएससी से चयनित सहायक आचार्य एवं आचार्य के नवीन पद सृजित करने का विचार रखती है ?
क्या यह भी सही है कि मुफ्त दवा योजना में कैंसर के इलाज में कीमोथैरेपी में उपयोग होने वाली दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं ।इस पर सरकार की तरफ से मंत्री ने जवाब दिया की आचार्य तुलसी रीजनल कैंसर सेंटर बीकानेर में वर्ष 2015 से वर्ष 2020 में मरीजों को रेडियोथेरेपी व कीमोथेरेपी दोनों से इलाज किया गया है ।
इस पर विधायक सुमित गोदारा ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मेडिकल ऑंकोलॉजिस्ट के पद आप सर्जित करोंगे कि नहीं, आप कह रहे हो की आवश्यकता अनुसार , आप ही के जवाब में यह है कि 2015 में इस सेंटर पर 89262 मरीज भर्ती हुए हैं 2019 में 1 लाख 27 हजार199 मरीज भर्ती हुए , लगभग इस सेंटर पर 40 प्रतिशत रोगियों की संख्या बढ़ी है जिसमें 30171 को कीमोथेरेपी विभाग की ओर से लगाई गई 4666 को रेडियो थेरेपी व 4497 मरीजों को दोनों इलाज दिए गए तो विषय यह उठता है कि कीमोथेरेपी ज्यादा लगाई जा रही है, तो मेडिकल ऑंकोलॉजिस्ट उसके लिए एक कॉम्पिटिटि पर्सन है,तो मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट उत्तर भारत के सबसे बड़े सेन्टर में एक ही पद क्यों सर्जित है, जब इतनी संख्या में 40 प्रतिशत बीमार बढ़ रहे हैं तो प्रश्न यह उठता है कि सरकार क्या वहां पर अति शीघ्र आरपीएससी द्वारा मेडिकल ऑंकोलॉजिस्ट के पद पर सर्जित कर चिकित्सा सेवाएं सुलभ कराएगी।
इस पर सरकार की तरफ से मंत्री ने कहा कि हमने आरपीएससी को मेडिकल ऑंकोलॉजिस्ट विशिष्टता में चार और सर्जिकल ऑंकोलॉजिस्ट विशिष्टता में 2 सहायक आचार्य के रिक्त पद भरने के लिए कहा है और चिकित्सा महाविद्यालय बीकानेर में मेडिकल ऑंकोलॉजिस्ट के शीघ्र ही पद भरने का आश्वासन दिया । इस पर विधायक सुमित गोदारा ने पूछा कि वर्तमान में कैंसर सेंटर में जो डायरेक्टर है वह एक रिटायर्ड डॉक्टर है,परंपरा हमेशा यही रही है कि जो एचओडी होता है वो ही वंहा का डायरेक्टर होता है, क्या वर्तमान में जो डायरेक्टर है वो वहां की व्यवस्था संभालने में सक्षम है, यदि है तो सदन के माध्यम से जानना चाहता हूं कि क्या कारण है कि जो लोग इस असाध्य बीमारी से ग्रस्त है और उत्तर भारत का जो सबसे बड़ा सेंटर है उसमें भारी तादाद में जो मरीज वहां पर आते हैं उनकी डायरी बनाने के लिए उनको एक दिन का समय लग जाता है ।
विधायक गोदारा ने कहा कि यहां पर व्यवस्थाएं पूर्ण रूप से फेल हो चुकी हैं, सरकार से मांग करता हूं कि वहाँ के एचओडी को डायरेक्टर बनाया जाए, जिससे व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके तथा उत्तर भारत का कैंसर का सबसे बड़ा जो सेंटर है वह आगे भी बढ़ सके ।
इस पर सरकार की तरफ से मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि अभी वहां पर जो डॉक्टर कार्यरत हैं उनको अनुभव के आधार पर रखा गया है ,उनकी 2017 में एक शिकायत आई थी ,आज विधायक ने मुद्दा उठाया है वहां पर जो भी अवस्थाएं हैं उनकी जांच करा कर उनको दुरुस्त कराएंगे।
इसी बीच नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि एचओडी पर आपने उम्र की सीमा तय कर रखी है, उसी आयु के आधार पर कोई एचओडी व निदेशक रह सकता है। चाहे वह डॉक्टर जूनियर हो या सीनियर। 68 साल का व्यक्ति उस सेंटर पर काम कर सकता है वह एचओडी या डायरेक्टर के पद पर कैसे रह सकता है।





