बीकानेर abhayindia.com जीवन रिश्तों से, प्रेम से, विश्वास से चलता है पैसों से नहीं क्योंकि पैसा तो आपराधिक कार्य करने वाले, चोर, डकैत आदि भी कमा लेते हैं। वास्तविक सम्पत्ति है परिवार की ताकत।
ये विचार मैनेजमेंट ट्रेनर डॉ. गौरव बिस्सा ने आरएसवी शिक्षण समूह द्वारा फैमिली मैनेजमेंट विषय पर आयोजित ऑनलाइन लाइव वेबिनार में बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किये। डॉ बिस्सा ने ब्रिटेन और अमरीका के शोध ग्रंथों के आधार पर बताया कि माता पिता द्वारा अपने बच्चों का जीवन अति आसान बनाकर उनका संघर्ष छीन लेने से संतान का शारीरिक और मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है।
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डॉ. बिस्सा ने कहा कि संतान से अत्यधिक अपेक्षा रखना, उसपर दबाव बनाना और उसकी असफलता को लज्जाजनक बना देना बहुत गलत है अतः अभिभावकों को इसका ख्याल रखना चाहिए। उन्होंने शोध के आधार पर कहा कि दम्पत्तियों को रिलेशनशिप में प्रिवेंटिव मेंटिनेंस को धारण करना चाहिये जिसके अनुसार समय रहते रिश्तों को सुधार लिया जाये वरना दाम्पत्य कष्टपूर्ण होकर ब्रेकडाउन की ओर चला जाता है।
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उन्होंने बताया वर्तमान समय में पारिवारिक विघटन की मूल वजह सहनशीलता में कमी ही है। उन्होंने शोध के साथ बताया कि महिलाओं और माताओं के प्रति सम्मान का भाव रखना राष्ट्र की परम्परा रही है। डॉ बिस्सा ने यूएनओ की रिपोर्ट्स के आधार पर महिला सशक्तिकरण को समझाया।
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बुज़ुर्ग सम्मान को सर्वोपरि बताते हुए डॉ बिस्सा ने कहा कि पिता की डांट, फटकार और मार में भी जीवन का उत्थान छिपा है क्योंकि वे जन्मदाता हैं और हमारा रोम – रोम उनका कर्ज़दार है। डॉ. बिस्सा ने कहा कि जिन परिवारों में सहन करने की ताकत नहीं होती वे परिवार समाप्त हो जाते हैं या होटल में परिवर्तित हो जाते हैं। होटल का अर्थ है अपने – अपने कमरों में निवास जहाँ कोई किसी का इंतजार नहीं करता और परस्पर सरोकार नहीं होता. डॉ बिस्सा ने रोचक कथाओं और उदाहरणों से सास बहु सम्बन्ध, ननद भाभी संबंधों की भी चर्चा की।
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आरएसवी शिक्षण समूह के सीईओ आदित्य स्वामी ने कहा कि इस ऑनलाइन कार्यशाला में डेढ़ हज़ार से ज़्यादा देशी विदेशी पेशेवरों ने शिरकत की और शिक्षण समूह की इस सकारात्मक पहल को सराहा। उन्होंने कहा कि जिस परिवार में त्याग, सद्भावना और प्रेम में कमी है तो वह परिवार है ही नहीं।
उन्होंने बताया कि कि पूरा परिवार एक गुलदस्ता होता है जहाँ प्रत्येक पुष्प भिन्न है। समूह की अकादमिक निदेशक निधी स्वामी ने बताया कि बड़ा सोचना, छोटी बातों में न उलझना, क्षमा करने का भाव रखना, इम्पल्स से गवर्न न होना और सदा सहनशील रहना ही परिवार में मधुर संबंधों की स्थापना करता है।