बीकानेर abhayindia.com नगर निगम चुनावों के लिये शुक्रवार को नामांकन वापसी के बाद शहरभर के अस्सी वार्डो की चुनावी तस्वीर साफ हो गई है। ताजा चुनावी माहौल को देखते हुए अधिकांश वार्डो में कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों के लिये निर्दलीय उम्मीदवार चुनौती बने हुए है। सियासी विश्लेषकों की मानें तो दोनों को ही तीस का आंकड़ा पार करने के लिए एड़ी से चोटी का जोर लगाना पड़ेगा, क्योंकि भितरघात की आशंका है।
कई वार्ड सीधा मुकाबला होने के साथ टक्कर भी कांटे की है। इसके अलावा अधिकांश वार्डों में निर्दलीय प्रत्याशियों की मौजूदगी ने भाजपा-कांग्रेस की हवा बिगाड़ रखी है। नगर निगम चुनाव को लेकर जीत व हार के लिए जो दावे व कयास लगाए जा रहे हैं, वे या तो जातिगत समीकरणो का अनुमान है या फिर भितरघात को लेकर। इन सबके बीच एक और भी कारण है जो पूरे समीकरणो को बना भी सकता है और बिगाड़ भी सकता है और वह है बढ़े मतदाता और कम हुए वोटर्स। पक्के तौर पर कोई जातिगत वोटो से जीतने का दावा नहीं कर सकता। यहां यह भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि मतदान के दिन मतदान प्रतिशत कितना रहता है।
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यदि मतदाता जागरूकता के लिए चलाए गए कार्यक्रमो का जादुई प्रभाव चल गया तो चुनावी समीकरणो मे बदलाव हो सकता है। हालांकि नगर निगम बोर्ड के गठन के लिए मतदान होने में अब महज सात दिन बचे हैं, लेकिन मतदाता अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं। वे हर घर जाकर मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान के लिए करने गुहार लगा रहे हैं। वहीं मतदाताओं में भी वार्ड के मुद्दे और सही प्रत्याशी के चयन को लेकर बहस चल रही है।
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मतदाताओं ने साध रखा है मौन
निकाय चुनावों की जंग के माहौल में शहर के मतदाताओं ने फिलहाल मौन साध रखा है। कई वार्डो में मतदाताओं को टटोला तो ज्यादातर ने नए चेहरे के प्रति विश्वास जताया। इनमें सबसे ज्यादा मुखर युवा मतदाता नजर आए। इधर मतदाताओं का रूझान समझ में नहीं आने के कारण उम्मीदवारों के मन में भी कई आशंकाएं जन्म लेने लगी हैं। दिनभर के प्रचार के बाद शाम को जब उम्मीदवार समर्थकों के बीच चुनाव कार्यालय पर बैठकर वर्तमान समीकरण पर नजर डालते हैं तो मतदाताओं की खामोशी का मुद्दा उन्हें बेचैन कर जाता है।