








अलवर। सभी जानवरो के अधिकारों की रक्षा के लिए समर्पित राष्ट्रीय स्तरीय संस्था ‘पीपल फॉर द एिथकल ट्रीट्मेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया’ने राजस्थान के अलवर में बकरी दूध एवं मांस व्यापार से संबन्धित चौंका देने वाला वीडियो जारी किया है, जिसमें सड़क के किनारे मांस बिक्री की दुकानों में मासूम बकरियों को उनके मांस के लिए बिना किसी बेहोशी की दवा दिये, अन्य डरी सहमी बकरियों के सामने बेदर्दी से काटा जा रहा है। इस वीडियो को ईद से ठीक पहले जारी कर यह बताने की कोशिश की गई है कि बकरियों को भी पीड़ा होती है चाहे उन्हें कत्लखानों के अंदर काटा जाए या बाहर कहीं, वो भी मरना नहीं चाहती।
PETA इंडिया ने केंद्रीय मंत्री- पशु कल्याण, डेयरी एवं मत्स्य, गिरिराज सिंह को तत्काल पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि बकरियों का बंध्याकरण प्रक्रिया बेहोश किए जाने के बाद ही की जानी चाहिए, कत्लखानों एवं जहां पशुओं को मारा जा रहा है वहां का निरीक्षण किया जाए, पशु परिवहन एवं कत्लखाना अधिनियम को प्रभाव पूर्ण तरीके से लागू किया जाए व अवैध कत्लखानों, खुलेआम सड़कों पर दी जाने वाली पशुबलि/कुर्बानी के खिलाफ भी कठोर कार्यवाही की जाए।
PETA इंडिया के लीगल एसोसिएट आमिर नबी कहते हैं- बेहोश किए बिना बकरियों को काटने से लेकर उनके बच्चों को उनके दूध से वंचित रखने, जिंदा रहते बकरियों के गले काटने, उनका दूध प्राप्त करने एवं मार दिये जाने तक, यह सभी क्रूर एवं उत्पीड़न भरी प्रथाएं हैं। PETA इंडिया सरकार से मांग करता है कि इन बेरहम एवं पीड़ादायी प्रचलनों पर रोक लगाए व साथ ही साथ सामान्य जनता से अनुरोध करता है कि त्यौहारों पर पशुओं का उत्पीड़न करने की बजाय, आपस में कपड़े एवं मिठाईयां बांटकर व पशुओं की जान बचाकर त्यौहार मनाएं।
PETA इंडिया द्वारा “Sentient” नामक संस्था के सहयोग से शूट् की गयी इन वीडियो फुटेज में देखा जा सकता है कि बकरियों के स्तन संक्रमित हैं, एक बकरी के संक्रमित घाव में कीड़े लगे हैं तथा एक अन्य बकरी के पैर में फ्रेक्चर है। बहुत सी बकरियों को तंग छोटे पिंजरों में कैद करके तथा इतनी छोटी रस्सियों से बांध कर रखा गया है कि वो सही से हिल-डुल भी नहीं सकती। छोटी बकरियों के मुंह में जबरन लकड़ी घुसेड़ दी गई ताकि वो अपनी मां का दूध न पी सके ताकि उस दूध को इन्सानों को बेचा जा सके। इस इलाके कि अधिकांश बकरियों के हिस्से में गैरकानूनी रूप से चल रही मांस की दुकानों पर दर्दनाक मौत मिलती है।
PETA इंडिया जो इस सरल सिद़धांत के तहत काम करता है कि “जानवर हमारा भोजन बनने या किसी भी तरह से दुर्व्यहार सहने के लिए नहीं है, प्रजातिवाद का विरोध करता है क्योंकि यह मनुष्य का स्वयं को वर्चस्ववादी मानने वाली मानसिकता का प्रतीक है।
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