तंत्र सिद्धि और गुप्त मनोकामनाओं के लिए गुप्त नवरात्रि ज्यादा महत्वपूर्ण है। इस बार आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि 3 जुलाई से प्रारंभ होकर 10 जुलाई तक रहेगी। गुप्त नवरात्रि माघ और आषाढ़ माह में आती है। गुप्त नवरात्रियों का महत्व चैत्र और शारदीय नवरात्रियों से भी अधिक हैं। आइये… जानते हैं गुप्त नवरात्रि की खास बातें :-
1. गुप्त नवरात्रियों में देवी शीघ्र प्रसन्न होती हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि साधकों को पूर्ण संयम और शुद्धता से देवी आराधना करना होती हैं।
2. इस बार आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि आठ दिनों की है। सप्तमी तिथि का क्षय होने के कारण यह स्थिति बनी है।
3. गुप्त नवरात्रि में इस बार सर्वार्थसिद्धि और रवि योग के साथ ही अत्यंत शुभ माना जाने वाला गुरु–पुष्य संयोग भी बन रहा है। यह संयोग 4 जुलाई को यानी नवरात्रि के दूसरे दिन बनेगा।
4. गुप्त नवरात्रि के आठ दिनों में तीन बार रवियोग और एक बार सर्वार्थसिद्धि योग आएगा। इसी नवरात्रि में जगदीश रथयात्रा भी पूर्ण होगी।
5. गुप्त नवरात्रि के दिन तंत्र–मंत्र सिद्धि के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन माने गए हैं। कई साधक इन दिनों में दसों महाविद्याओं की साधना भी करते हैं। इनसे न केवल स्वयं के जीवन की परेशानियों का अंत होता है, बल्कि वे दूसरों की भलाई के काम भी कर सकते हैं।
6. इन नौ दिनों में दुर्गासप्तशती का पाठ करना चाहिए।
7. सप्तश्लोकी दुर्गा का प्रतिदिन पाठ करना चाहिए। नौ दिनों में लोभ, क्रोध, मोह, काम–वासना से दूर रहते हुए केवल देवी का ध्यान करना चाहिए। कन्याओं को भोजन कराएं, उन्हें यथाशक्ति दान–दक्षिणा, वस्त्र भेंट करें।
गुप्त नवरात्रि के 8 दिनों की प्रमुख तिथियां
3 जुलाई बुधवार– प्रतिपदा– गुप्त नवरात्रि प्रारंभ, देवी साधना प्रारंभ
4 जुलाई गुरुवार– द्वितीया– जगदीश रथयात्रा पूर्ण, गुरु–पुष्य संयोग
5 जुलाई शुक्रवार– तृतीया– रवियोग रात्रि 12.19 बजे तक
6 जुलाई शनिवार– चतुर्थी– विनायक चतुर्थी
7 जुलाई रविवार– पंचमी– सर्वार्थसिद्धि योग, कुमार षष्ठी, बुध वक्री
8 जुलाई सोमवार– षष्ठी– रवियोग, विवस्वत सप्तमी, षष्ठी तिथि प्रातः 7.42 तक ही रहेगी।
9 जुलाई मंगलवार– अष्टमी– दुर्गा अष्टमी, सप्तमी तिथि का क्षय
10 जुलाई बुधवार– नवमी– भड़ली नवमी, नवरात्रि पूर्ण, रवियोग।
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