




जयपुर Abhayindia.com नगरीय विकास एवं आवासन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) झाबर सिंह खर्रा ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि विगत तीन वर्षों में किसी भी नगरीय क्षेत्र में भू-उपयोग परिवर्तन की स्वीकृति प्रदान करने में उच्च न्यायालय जोधपुर के निर्देशों की अवहेलना नहीं की गई है। उन्होंने आश्वस्त किया कि पीलीबंगा क्षेत्र में गोदाम से आवासीय भू-उपयोग परिवर्तन संबंधी शिकायत प्राप्त होने पर एक माह में जांच कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि राजस्थान नगरीय क्षेत्र भू-उपयोग परिवर्तन नियम-2010 में 24 फरवरी व 6 नवंबर 2024 को संशोधन के लिए जारी की गई अधिसूचना में मास्टर प्लान व जोनल डवलपमेंट प्लान में भू-उपयोग परिवर्तन कि पूर्ण शक्तियां राज्य स्तरीय भू-उपयोग परिवर्तन समिति को प्रदान की गई हैं। राज्य स्तरीय भू-उपयोग परिवर्तन समिति के समक्ष जिन प्रकरणों में उच्च न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना नहीं होती, सिर्फ उन्हीं प्रकरणों की स्वीकृति जारी की जाती है।
नगरीय विकास एवं आवासन राज्य मंत्री प्रश्नकाल के दौरान सदस्य द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्न का जवाब दे रहे थे। खर्रा ने सदन में स्पष्ट किया कि उच्च न्यायालय जोधपुर द्वारा भू-उपयोग परिवर्तन से संबंधित निर्देशों में उल्लेखित प्रतिबंधित भू-उपयोगों से राज्य स्तरीय भू-उपयोग परिवर्तन समिति द्वारा विगत तीन वर्षों में किसी भी नगरीय क्षेत्र में भू-उपयोग परिवर्तन की स्वीकृति प्रदान नहीं की गई है।
इससे पहले विधायक विनोद कुमार के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय जोधपुर द्वारा रिट संख्या-1554/2004 में 12 जनवरी 2017 को पारित निर्णय में बिन्दु संख्या-205 के उप बिन्दु संख्या-(v), (xi) एवं (xxxi) में इको सेंसिटिव जोन, इकोलोजिकल जोन, हरित क्षेत्र व मास्टर प्लान, जोनल डवलपमेंट प्लान के अन्तर्गत खुला क्षेत्र, सामान्य सुविधाएँ, खेल-मैदान, गार्डन, पार्क, रिक्रीयेशनल एरिया एवं पहाड़, वन क्षेत्र, नदी, अन्य जलाशय व कैचमेंट क्षेत्र आदि क्षेत्रों में भू-उपयोग परिवर्तन पर रोक के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय द्वारा इस निर्देश में गोचर, ओरण भूमि के भू-उपयोग परिवर्तन को प्रतिबंधित नहीं किया गया है।
खर्रा ने बताया कि राज्य सरकार के 24 अक्टूबर व 21 नवम्बर 2019 के आदेश द्वारा समस्त क्षेत्रफल के भू-उपयोग परिवर्तन के प्रकरणों का निर्णय राज्य स्तरीय भू-उपयोग परिवर्तन समिति के द्वारा ही किये जाने के निर्देश जारी किये गये हैं।





