Wednesday, December 25, 2024
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एनआरसीसी बीकानेर को मिला मेवाड़ी ऊँट नस्‍ल संरक्षण पुरस्‍कार

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बीकानेर Abhayindia.com भाकृअनुप-राष्‍ट्रीय उष्‍ट्र अनुसंधान केन्‍द्र, बीकानेर को राष्‍ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्‍यूरो (एनवीएजीआर), करनाल में किसान दिवस के उपलक्ष्‍य पर सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में मेवाड़ी ऊँट नस्‍ल के संरक्षण के लिए किए गए प्रयासों के आधार पर संस्‍थागत श्रेणी का द्वितीय पुरस्‍कार प्रदान किया गया। प्रतिवर्ष यह पुरस्कर पंजीकृत पशुओं के संरक्षण व रखरखाव में लगे हुए देश भर के पशुपालक एवं संस्‍थाओं को यह पुरस्‍कार प्रदान किया जाता है।

यह पुरस्‍कार मुख्य अतिथि डॉ.ए.के. श्रीवास्‍तव, कुलपति, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, मथुरा एवं विशिष्‍ट अतिथि जगत हजारिका, मत्स्य पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के सांख्यिकी सलाहकार के कर कमलों से केन्‍द्र निदेशक डॉ. आर.के. सावल एवं मेवाड़ी ऊँट नस्‍ल संरक्षण पुरस्‍कार के आवेदनकर्ता डॉ. वेद प्रकाश, वरिष्‍ठ वैज्ञानिक, पशु आनुवंशिकी एवं प्रजनन को प्रदान किया गया।

निदेशक डॉ. आर. के. सावल ने एनआरसीसी को मिले इस सम्‍मान पुरस्‍कार पर खुशी व्‍यक्‍त करते हुए वैज्ञानिकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों को बधाई संप्रेषित की तथा कहा कि एनआरसीसी को नस्‍ल संरक्षण पुरस्‍कार से नवाजा जाना यह इंगित करता है कि केन्‍द्र के वैज्ञानिक उष्‍ट्र संरक्षण व विकास संबंधी कार्यों में अथक रूप से प्रयासरत हैं। उन्‍होंने इस बात की आवश्‍यकता जताई कि ऊँटों की घटती संख्‍या खासकर संकटग्रस्‍त श्रेणी में आने वाली नस्‍लों के संरक्षण व विकास तथा इन्‍हें विलुप्‍त होने से बचाने के लिए गांव-गांव ढाणी-2 स्‍तर पर एनआरसीसी द्वारा अपनी परियोजनाओं के माध्‍यम से विशेष जागरूकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता हैं।

केन्‍द्र की अनुवांशिक व प्रजनन इकाई के प्रभारी डॉ. वेद प्रकाश, वरिष्‍ठ वैज्ञानिक ने बताया कि पशु संसाधनों पर चल रही नेटवर्क परियोजना के अंतर्गत पंजीकृत किसान भंवर लाल रायका, गांव कोयला, जिला बारां को मालवी ऊँट के संरक्षण के लिए व्‍यक्तिगत श्रेणी में प्रथम पुरस्‍कार से एनबीएजीआर द्वारा नवाजा गया। ज्ञातव्‍य हो कि ब्रीड वॉच लिस्‍ट 2022 के अनुसार मालवी तथा मेवाड़ी नस्‍लें संकटग्रस्‍त श्रेणी के रूप में दर्ज की गई है, अत: इनके संरक्षण के लिए एनआरसीसी व केन्‍द्र की नेटवर्क एवं अन्य परियोजनाओं में पंजीकृत पशुपालकों द्वारा सतत प्रयास किए जा रहे है।

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