Wednesday, December 11, 2024
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रामपुरिया विधि कॉलेज में परिचर्चा : स्वयंसेवकों को दी मानवाधिकार की जमीनी हकीकत की जानकारी

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बीकानेर Abhayindia.com ब.ज.सि. रामपुरिया जैन विधि महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाईयों के द्वारा आज विश्व मानवाधिकार दिवस पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में महाविद्यालय के वरिष्ठ व्याख्याता एस. के. भाटिया उपस्थित थे।

परिचर्चा को सम्बोधित करते हुए एस. के. भाटिया ने मानवाधिकार की उत्पति, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से लेकर अभी वर्तमान में मानवाधिकार की जमीनी हकीकत के बारे में स्वंयसेवकों को जानकारी दी। भाटिया ने भारतीय संविधान के अन्तर्गत समाहित सभी मूल अधिकारों की व्याख्या मानवाधिकार के साथ करते हुए अनेक उदाहरणों के माध्यम से मानवाधिकारों के संरक्षण की बात समझाई। न्यूनतम मजदूरी, जीवन स्तर, बंधुआ मजदूरी, दास प्रथा, बालकों एवं महिलाओं के शोषण, की प्रवृत्ति को समाप्त करना, रोटी कपडा मकान शिक्षा एवं रोजगार के साधनों की उपलब्धता हो। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शरणार्थियों को उपलब्ध अधिकारों, वर्तमान संदर्भ में मानवाधिकारों की चर्चा करते हुए दिव्यांगों के भी मानवाधिकारों के बारे में विस्तार से स्वयंसेवकों को समझाया।

परिचर्चा में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अनन्त जोशी ने अपने विचार रखते हुए बताया कि आज विश्व के अनेक देशों में वैश्वीकरण के कारण ही मानवाधिकारों की रक्षा हेतु अपनी राष्ट्रीय विधियों में संशोधन किया है तथा आवश्यकता पडने पर नई विधियों का निर्माण भी किया है। उन्होंने वर्तमान में महिलाओं के अधिकारों, एलजीबीटी के अधिकारों पर न्यायालयों के महत्वपूर्ण वादों पर चर्चा की।

परिचर्चा को सम्बोधित करते हुए महाविद्यालय के व्याख्याता एवं रासेयो कार्यक्रम अधिकारी डॉ. रीतेश व्यास ने कहा कि वैश्वीकरण व उदारीकरण का सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों ही प्रभाव पडे है। लेकिन निश्चित रूप से वैश्वीकरण की अवधारणा ने सभी मानवों को विश्व परिवार का एक सदस्य स्वीकार करते हुए उनकी गरिमा एवं स्वतंत्रता संबंधी मूलभूत अधिकारों की रक्षा में अपनी महती भूमिका निभाई है।

इस परिचर्चा में मानवाधिकारों से संबंधित ज्वलंत विषय यथा कन्या भ्रूण हत्या, पुलिस अभिरक्षा में मृत्यु, महिलाओं पर होने वाले घरेलु हिंसा एवं बाल श्रमिकों के शोषण जैसे विषयों एवं संबंधित विधियों के प्रभावों पर महाविद्यालय के छात्र सत्यम, कैलाश, दिव्या, पूर्णिमा, प्रिया सारस्वत, सोनू, प्रवीण ने भी अपने अपने विचार रखे। इस परिचर्चा में सभी का यह मत था कि मानवाधिकारों के संरक्षण में रासेयो स्वयंसेवकों तथा युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

परिचर्चा में महाविद्यालय के रासेयो कार्यक्रम अधिकारी डॉ. बालमुकुन्द व्यास, महाविद्यालय के व्याख्याता डॉ. प्रीति कोचर, डॉ. पीयूष किराडू, श्रीमती सुनिता लूणिया, अन्जुमन उस्ता, राजश्री सुथार, चेतना ओझा, राकेश रंगा, पवन सारस्वत भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन रासेयो प्रभारी डॉ. रीतेश व्यास ने किया।

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