Thursday, October 17, 2024
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आरएएस भर्ती 2021 : उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन प्रक्रिया निष्पक्ष व सही, आयोग न्यायालय में रखेगा पक्ष

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जयपुर Abhayindia.com राजस्थान लोक सेवा आयोग ने कहा है कि आरएएस भर्ती परीक्षा 2021 की मुख्य परीक्षा में अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का कार्य आयोग स्तर पर पूर्ण सतर्कता एवं निष्पक्षता के साथ किया गया है। प्रकरण में उच्च न्यायालय द्वारा जवाब चाहा गया है। आयोग प्रशासन द्वारा न्यायालय के समक्ष निर्धारित अवधि में वास्तविक तथ्यों के साथ जवाब प्रस्तुत कर दिया जाएगा। आयोग ने कहा है कि दैनिक भास्कर समाचार-पत्र के अजमेर संस्करण में दिनांक 9 अक्टूबर 2024 को ’’आरएएस परीक्षा 2021… कॉपी जांच में लापरवाही…’’ शीर्षक से प्रकाशित समाचार को जिस प्रारूप में प्रस्तुत किया गया है, उसके कारण कतिपय अभ्यर्थियों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है।

आयोग सचिव ने बताया कि सामान्यतः न्यायालय में कोई रिट याचिका दायर की जाती है, तो उसके संबंध में आयोग से जवाब प्राप्त करने के पश्चात न्यायालय के स्तर पर परीक्षण के पश्चात् कोई निर्णय अथवा आदेश पारित होने पर, उसको आधार मानकर मीडिया में समाचार प्रकाशित होता है, लेकिन अभ्यर्थी रंजीत कुमार ने मात्र रिट दायर करके यह समाचार, दैनिक भास्कर समाचार पत्र में प्रकाशित करवाया है, रिट में अंकित किए गए तथ्य विधिक रूप से सही नहीं है। जब मामला न्यायालय में विचाराधीन हो तो उस स्थिति में सभी की जिम्मेदारी बनती है कि एक तरफा एवं अनावश्यक खबरों को प्रसारित नहीं किया जाये।

आयोग के अनुसार, इस प्रकरण
में तथ्य इस प्रकार है कि...
  • आर.ए.एस. परीक्षा-2021 के अभ्यर्थी रंजीत कुमार द्वारा उच्च न्यायालय, जयपुर में एस.बी.सिविल रिट याचिका संख्या-15698/2024 दायर कर, स्वयं की मुख्य परीक्षा की प्रश्न पत्र-चतुर्थ की प्रश्नोतर पुस्तिका के कुछ प्रश्नों का सही मूल्यांकन नहीं करने के संबंध में रिट याचिका में बिन्दु उठाये गए हैं।
  • न्यायालय द्वारा रिट याचिका स्वीकार कर अंतरिम आदेश दिनांक 07 अक्टूबर 2024 को नोटिस जारी कर आगामी सुनवाई तिथि 21 अक्टूबर 2024 निर्धारित की गई है।
  • आयोग ने अपने स्तर पर पूर्ण सतर्कता व निष्पक्षता के साथ कार्य किया है। अभ्यर्थी की प्रश्नोतर पुस्तिका की जांच में कोई भी गड़बड़ी नहीं है। मूल्यांकन निष्पक्षता एवं पारदर्शिता के साथ किया गया है। अभ्यर्थी द्वारा रिट में अंकित किए गए तर्क भी विधिक रूप से सही नहीं है। आयोग द्वारा उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखा जाकर वास्तविक तथ्य प्रस्तुत कर दिए जाएंगे।
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