Sunday, December 22, 2024
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शारदीय नवरात्र पर बनेंगे विशेष योग, जानें- कलश स्थापना का मुहूर्त और अन्‍य ध्यान रखने योग्य बातें…

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इस वर्ष शारदीय नवरात्र आश्विन माह, शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 03 अक्टूबर 2024, गुरुवार से प्रारंभ हो रहे है।

घट (कलश) स्थापना मुहूर्त -:

शुभ का चौघडिया : घटस्थापना 03 अक्टूबर 2024, गुरुवार, सुबह 06:15 से सुबह 07:45 तक शुभ का चौघड़िया विद्यमान रहेगा जिसमें घटस्थापना की जा सकती है।

घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:55 से 12:36 तक शुभ अभिजीत मुहूर्त रहेगा अतः इस समय के दौरान भी घट(कलश) स्थापना की जा सकती है। घट (कलश) स्थापना के यह दो उत्तम मुहूर्त है। आप अपनी सुविधा के अनुसार कोई से भी मुहूर्त पर घट स्थापना कर सकते हैं।

इस बार बनेगा नवरात्र में विशेष योग
  • इस बार शारदीय नवरात्रि “हस्त नक्षत्र” और “इंद्र योग” में मनाए जाएंगे। कन्या राशि में चतुर्ग्रही योग बनेगा। जिसमें बुध, सूर्य, केतु और चंद्रमा विराजमान रहेंगे। इसके अलावा कन्या राशि में सूर्य बुध से बुधादित्य योग का निर्माण होगा। साथ ही शुक्र और राहु ग्रह के बीच षडाष्टक योग भी बनेगा। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार के दिन से होगी। ऐसे में माता रानी का वाहन पालकी रहेगा। माता रानी का वाहन पालकी होना अशुभ संकेत देता है। कन्या राशि का चंद्रमा रहेगा जो शुभदायक है। नवरात्र पूरे दस दिनों के होंगे। 12 अक्टूबर को महानवमी के साथ नवरात्र पूर्ण होंगे, इसी दिन दशहरा भी मनाया जाएगा।
  • शारदीय नवरात्रों में इस बार तृतीया तिथि की वृद्धि हुई है जो अत्यंत शुभ होता है। तृतीया तिथि शनिवार और रविवार दो दिन रहेगी। इससे नवरात्र 10 दिन के हो गए हैं लेकिन महानवमी शनिवार 12 अक्टूबर को सुबह 11:00 बजे तक रहेगी। उसके बाद दशमी तिथि शुरू हो जाएगी। शाम को प्रदोष वेला में दशमी होने से दशहरा 12 अक्टूबर शनिवार को ही मनाया जाएगा।
नवरात्रि पूजा विधि
  • सुबह प्रातः जल्दी उठें और स्नान के उपरांत घर व घर के मंदिर को फूल-अशोक व आम के पत्तों की बंदरवार से सजाएं।
  • पूजा की थाल सजाएं मां दुर्गा की प्रतिमा को लाल रंग के वस्त्र जैसे चुनरी की साड़ी इत्यादि रखें।
  • मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं और नवमी तक प्रति दिन पानी का छिड़काव करें।
  • पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश को स्थापित करें, इसमें पहले कलश को गंगा जल से भरें, उसके मुख पर अशोक या आम की पत्तियाँ लगाएं और ऊपर नारियल रखें, कलश को लाल कपड़े से लपेटें और कलावा के माध्यम से उसे बांधें, अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ पंचोपचार पूजा करें।
  • नौ दिनों तक मां दुर्गा से संबंधित मंत्र का जाप करें दुर्गा चालीसा- दुर्गा, सप्तशती का पाठ करें और माता का स्वागत करें उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें।
  • अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें तरह-तरह के व्यंजनों (पूड़ी, चना, हलवा) का भोग लगाएं. आखिरी दिन मां दुर्गा के पूजा के बाद घट विसर्जन करें इसमें मां की आरती गाए, उन्हें फूल, चावल चढ़ाएं और प्रार्थना करें।
नवरात्रि में ध्यान रखने योग्य विशेष
  • सनातन परंपरा/संस्कृति में नवरात्र काल को विशेष पवित्र समय माना गया है। यह समय एक विशेष ऊर्जा का समय होता है। इस समय की हुई साधनाओं से आप आत्मोन्नति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
  • पवित्र नवरात्र के समय में सौरमंडल में ग्रह- नक्षत्र- निहारिकाओं कें कुछ विशेष संयोग बनते है। और इस समय के दौरान किए गए जप- तप- साधना-अनुष्ठान- व्रत- उपवास- दान- पुण्य इत्यादि के कई गुना शुभ व सकारात्मक प्रभाव प्राप्त होते है।
  • नवरात्रि के दिनों में सात्विक भोजन व पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। कम बोले, मौन व्रत का पालन ज्यादा से ज्यादा करें, अनर्गल वार्तालाप से बचें जप व स्वाध्याय में ज्यादा समय बिताएं।
  • नवरा‍त्र पूजन में प्रयोग में लाए जाने वाले रोली या कुमकुम से पूजन स्थल के दरवाजे के दोनों ओर स्वास्तिक बनाया जाना शुभ रहता है।
  • नवरात्रि का समय एक ऐसी दिव्य ऊर्जा का काल है जिसमें आप अपने ईष्ट की साधना करके अपने अंदर दिव्यता और सकारात्मकता ला सकते हैं।
  • नवरात्र में नौ कन्याओं को भोजन कराएं। नौ कन्याओं को नवदुर्गा मानकर पूजन करें। बेहतर होगा कि नियमित एक कन्या को भोजन कराएं और अंतिम दिन भोजन के बाद उस कन्या को वस्त्र, फल, श्रृंगार सामग्री देकर विदा करें।
Mohit Bissa
Mohit Bissa, Astrologer, Bikaner

-मोहित बिस्सा, ज्योतिषाचार्य, बीकानेर

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