Friday, September 20, 2024
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21 अगस्‍त को भारत बंद का आह्वान, आपातकालीन सेवाएं रहेगी बंद से मुक्‍त

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जयपुर Abhayindia.com एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट की ओर से लिए निर्णय के विरोध में 21 अगस्त को भारत बंद बुलाया गया है। राजस्थान समेत देश के अलग- अलग हिस्सों में एससी-एसटी आरक्षण से जुड़ी समितियों ने इसका समर्थन किया है। बंद के दौरान प्रदेश में सभी बाजारों को बंद रखने की अपील की गई है। आवश्यक और आपातकालीन सेवा जैसे चिकित्सा, पेयजल, शिक्षण संस्थाएं, सार्वजनिक परिवहन, रेल सेवा, पेट्रोल पंप, विद्युत, बैंक आदि को बंद से मुक्त रखने का निर्णय लिया गया है।

इधर, भारत बंद को लेकर गृह विभाग ने सभी कले टर, एसपी को निर्देश जारी किए हैं। इसमें समाज और व्यापारिक संगठन को बाजार बंद नहीं रखने के लिए समझाने के लिए कहा गया है। साथ ही बंद की स्थिति में किसी भी व्यक्ति को परेशानी न हो। इसके निर्देश दिए गए हैं। समिति की ओर से रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी।

समिति के अध्यक्ष हरसहाय मीना ने बताया- सुप्रीम कोर्ट की ओर से 1 अगस्त 2024 को एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू करने का निर्णय लिया गया है। इससे प्रदेश का अनुसूचित जाति, जनजाति समाज आक्रोशित है। इसलिए समाज 21 अगस्त 2024 को भारत बंद के आह्वान को राजस्थान प्रदेश में शांतिपूर्ण स पन्न कराने के लिए अनुसूचित जाति-जनजाति संयुक्त संघर्ष समिति, राजस्थान का गठन किया गया है।

अनुसूचित जाति-जनजाति संयुक्त संघर्ष समिति, राजस्थान के सदस्यों ने बंद को शांतिपूर्ण तरीके से करने की अपील की। बंद किसने बुलाया है इसकी हमें जानकारी नहीं है। लेकिन सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से हमें भारत बंद की जानकारी मिली है। इसे लेकर हमारी यह समिति राजस्थान में बंद का समर्थन करती है। इसके लिए समिति प्रदेश के सभी लोगों से अपील करती है कि इस बंद को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराए।

समिति के संयोजक जीएस सोमावत ने बताया कि बंद के समर्थन में बुधवार को एक शांति/सद्भावना मार्च आयोजित की जाएगी। यह मार्च रामनिवास बाग से शुरू होकर चौड़ा रास्ता, त्रिपोलिया बाजार, बड़ी चौपड़, जोहरी बाजार, सांगानेरी गेट होते हुए रामनिवास बाग में आकर समाप्त होगी। इसके बाद समिति का प्रतिनिधि मंडल मांगों के विषय में जिला कलक्‍टर को ज्ञापन देगा। उन्होंने बताया- भारत बंद का समर्थन अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्‍यक समाज के विभिन्न संगठनों ने किया है।

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