










जोधपुर Abhayindia.com राजस्थान उच्च न्यायालय की एकल पीठ के न्यायाधीश फरजंद अली ने माध्यमिक शिक्षा विभाग जोधपुर की ओर से प्रस्तुत रिट याचिकाओं को खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी कि चयनित वेतनमान का लाभ किसी अध्यापक को उसके नियमित नियुक्ति से ही दिया जायेगा।
सनद् रहे श्रवणलाल विश्नोई व भीकाराम भी नियुक्ति शिक्षा विभाग में अध्यापक के पद पर विकास अधिकारी पंचायत समिति फलौदी जिला जोधपुर ने क्रमश: 30.12.1982 व 16.09.1983 को हुई थी। जिला स्थापना समिति जिला परिषद् जोधपुर के आदेश दिनांक 15.04.1989 से उनकी सेवायें स्क्रीनिंग पश्चात् प्रथम नियुक्ति से नियमित कर दी गई। इस आदेश के अनुसरण में उन्हें प्रथम चयनित वेतनमान का लाभ उनकी सेवा के 9 वर्ष पूर्ण होने पर प्रदान कर दिया गया।
उक्त दोनों अपीलार्थीयों को द्वितीय व तृतीय चयनित वेतनमान का लाभ उनकी नियमित नियुक्त तिथि से ना देकर स्क्रीनिंग के आदेश पारित करने यानि 15.04.1989 का आदेश पारित होने की दिनांक से देने का आदेश शिक्षा विभाग द्वारा पारित किया गया। माध्यमिक शिक्षा विभाग के इस कृत्य से व्यथित होकर श्रवणलाल व भीखाराम ने अपने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से अपील राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण के समक्ष प्रस्तुत की।
अधिकरण ने वर्ष 2015 में दोनों अपीले स्वीकार करते हुए अपीलार्थी के पक्ष में निर्णित करते हुए उन्हें द्वितीय व तृतीय चयनित वेतनमान का लाभ भी उनकी नियमित नियुक्ति से देने का आदेश दिनांक 21.05.2015 को पारित किया। इस आदेश की पालना नहीं होने पर उनके द्वारा अवमानना याचिका अधिकरण में प्रस्तुत की गई। अधिकरण द्वारा सजा के बिन्दू पर जब अवमानना याचिका उच्च न्यायालय के संदर्भित की गई तब अधिकरण के आदेश के 9 वर्ष बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा दोनों अपीलार्थियों के अधिकरण के आदेश दिनांक 21.05.15 के विरूद्ध वर्ष 2024 में शिक्षा विभाग द्वारा रिट याचिकाएं प्रस्तुत की गई।
दोनों अपीलार्थीयों के अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा ने उच्च न्यायालय के समक्ष यह तर्क दिया कि शिक्षा विभाग द्वारा प्रथमतया 9 वर्ष की देरी से जो रिट याचिकायें अधिकरण के आदेश अविरूद्ध प्रस्तुत की है उनके देरी किस कारण से हुए इस संदर्भ में कोई आधार नहीं दिया गया। दूसरा ये रिट याचिकाएं केवल अधिकरण के आदेश की पालना नहीं करने के उद्देश्य से की गई है। इन रिट याचिकाओं से चयनित वेतनमान नियमित नियुक्ति से ही देने का आदेश अधिकरण द्वारा दिया गया है जो न्यायसंगत एवं उचित है जिनमें किसी तरह का हस्तक्षेप करना उचित नहीं है क्योंकि दोनों अपीलार्थियों की सेवायें उनकी प्रथम नियुक्ति से सक्षम अधिकारी द्वारा स्क्रीनिंग पश्चात प्रथम नियुक्ति से ही नियमित की गई है आदेश भले ही पश्चात् वृति वर्षों में पारित किया गया है परन्तु उसका प्रभाव प्रथम नियुक्ति से यानि भूत लश्री रूप से दिया गया है।
अप्रार्थी के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा प्रस्तुत रिट याचिकाओं को उच्च न्यायालय द्वारा देरी के आधार पर व पूर्व के दिये गये न्यायिक दृष्टांतों पर खारिज करते हुए अधिकरण के आदेश दिनांक 21.05.2015 को यथावत रखा एवं यह भी प्रतिपारित किया कि चयनित वेतनमान का लाभ किसी भी कर्मचारी को उसकी नियमित नियुक्ति से ही मिलेगा और यह नियमित नियुक्ति उनकी प्रथम नियुक्ति तिथि है तो प्रथम नियुक्ति से ही मिलेगा।





