Sunday, December 22, 2024
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मौसम का ये बदला मिजाज दे रहा सुकाल के संकेत

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श्याम शर्मा/बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। नौ तपा के बाद आंधियों ने आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त किया है। लेकिन मौसम का यह बदला हुआ मिजाज कुछ अच्छे संकेत भी लाया है। परंपरागत किवदंतियों एवं पुराने काश्तकारों के दीर्घ अनुभव को आधार मानें तो इस बार अकाल की छाया नहीं रहेगी और अच्छी बारिश से चारों तरफ खुशहाली का माहौल रहेगा।

बीकानेर में नौ तपा के बाद से लगातार एक सप्ताह से आंधियों ने पूरे माहौल को धूल-धूसरित कर रखा है। आंधियां अपने साथ महीन मिट्टी लेकर आती है जिससे लगता है कि रेत के धोरे शिफ्ट हो रहे हैं। पिछले एक सप्ताह से दिन और रात को चलने वाली आंधियों ने जनजीवन ही नहीं व्यवसाय को भी चौपट कर रखा है। घरों में रोजाना मिट्टी की परत जम जाने से गृहणियां परेशान हैं तो खान.पान की दुकानों पर मिठाई व नमकीन पर धूल जम जाने से बिक्री प्रभावित हो रही है।

पीढिय़ों से स्थापित किवदंतियों एवं कहावतों की प्रचलित मान्यता के मुताबिक इस बार मौसम की तब्दीली इस तरफ इशारा कर रही है कि नौ तपा के बाद सूर्य का पारा रिकॉर्ड तोड़ रहा हो और उसके बाद निरंतर धूल भरी आंधियां किसानों में श्रावणी की फसलों के शानदार रहने का आश्वासन ही है।

प्राचीन काल से मान्यता है कि जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में आता है तो न्यूनतम नौ दिन अगर लगातार भयंकर तपे, इसके बाद मृगशिरा नक्षत्र में न्यूनतम 14 दिन तक अगर मृग (हरिण) भागते हैं तो जमाना अच्छा होने के संकेत हैं। इस दौरान लगातार धूल भरी आंधियां चलती रहे और उसके बाद मृगशिरा नक्षत्र से सूर्य आद्र्रा नक्षत्र में आने पर 14 दिन तक हल्की बूंदाबांदी होती रहे तो पुनर्वसु नक्षत्र में भारी बारिश होना तय है। इन दिनों बीकानेर में ऐसा ही मौसम हो रहा है, इससे संकेत है कि इस बार मानसून में अच्छी बारिश होगी जो किसानों के लिए अच्छा जमाना होने के शुभ संकेत है।

इस बार रोहिणी नक्षत्र में भयंकर नौ तपा रहा, इसके बाद मृगशिरा के सात दिन से तेज आंधियों का दौर जारी है। ऐसा मौसम 21 जून तक रहने की संभावना है। इसके बाद आद्र्रा नक्षत्र में यदि बूंदाबांदी हुई तो समझ लीजिए 5 जुलाई से पुनवर्सु नक्षत्र में बारिश होना निश्चित है।

काश्तकार महेन्द्र सिंह का मानना है कि इस बार जैसी भीषण तपन और उसके बाद धूल भरी आंधियां आने वाल सुकाल के संकेत दे रही है। वस्तुत: सूर्य एक नक्षत्र में करीब 14 दिन तक गोचर करता है। यही चौदह दिन अकाल या सुकाल का संकेत बताते हैं।

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