बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। नहरबंदी के दौरान आमजन जहां पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर रहा था। वहीं इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए बंद पड़े रियासतकालीन पानी के कुएं चालू करने के मंत्री के आदेशों को विभागीय अधिकारियों ने गहरे कुएं में दफन कर दिया है। इसके पीछे कहीं न कहीं पानी माफिया का दबाव होने से इंकार नहीं किया जा सकता।
गौरतलब है कि सामाजिक कार्यकर्ता चोरूलाल सुथार ने तत्कालीन जलदाय मंत्री किरण माहेश्वरी को कुछ माह पहले बीकानेर आगमन पर ज्ञापन देकर बंद पड़े कुएं चालू कराने की मांग की, इस पर मंत्री ने मौके पर ही उपस्थित अधिकारियों को बंद पड़े कुएं चालू करने के निर्देश दिए। इसके लिए 47 करोड़ रूपए खर्च करने की बात भी कही। इस दौरान विभाग के आला अधिकारियों ने एक पखवाड़े में सर्वे कर बंद पड़े कुएं चालू कराने की हामी भर दी, लेकिन इसके बाद इस दिशा में कोई ठोस काम नहीं हो सका। लिहाजा कुएं अब भी बंद पड़े हैं। इनकी कोई सुध नहीं ली जा रही, जबकि एक समय ऐसा भी था जब यही कुएं समूचे बीकानेरवासियों की प्यास बुझाते थे।
वर्तमान में हालात ऐसे बने हुए है कि नहरबंदी हो या अन्य कोई प्राकृतिक आपदा, पेयजल की कमी होने पर लोग 800 से 2000 रुपए तक टैंकर का पानी खरीदने को मजबूर होते है। जानकार कहते हैं पानी माफिया व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत का नतीजा है कि मंत्री की बात सिरे नही चढ़ी। विडम्बना तो यह है कि यहां के जनप्रतिनिधियों ने भी कभी विभाग पर इस संबंध में दबाव नही बनाया।
सामाजिक कार्यकर्ता चोरूलाल सुथार बताते हैं कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के प्रथम द्वितीय व तृतीय खण्ड में 51 नलकूप हैं, इनमें 36 चालू हैं। इसके अलावा नया कुआं, चौतीना कुआं, रंगोलाई, अलख सागर, चन्दन सागर, पंवारसर, मोहता कुआं, सोनगिरी कुआं, फूलबाई व जस्सोलाई सहित बीसियों ओपन वैल हैं। वहीं बड़ी संख्या में नलकूप सूख चुके है। हालात ये है कि इनकी मोटरें जंग खा रही है। इन बंद पड़े कुओं में पर्याप्त पानी है। सुथार ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व जलदाय मंत्री को एक बार फिर ज्ञापन देकर रियासतकालीन कुओं को फिर से शुरू करवाने की मांग रखी है।