बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। शहर में नशाखोरी का जादू युवाओं के सिर चढ़कर बोल रहा है। इसके बावजूद सिस्टम आंखें मूंदे बैठा हुआ है। रात को आठ बजे के बाद भी शहर के विभिन्न थाना क्षेत्रों में शराब की दुकानों पर शराब की बिक्री तो आम बात हो गई है। शराब के कारोबारियों के रसूखात इतने तगड़े हो गए है कि इस मुद्दे पर न तो सिस्टम हरकत में आ रहा है और न ही कथित नेतागिरी करने वाले। सूत्रों से पता चला है कि बड़ी पार्टियों के कई बड़े नेता इन कारोबायिों को पूरी शह दे रहे हैं। यही वजह है कि सिस्टम को भी कार्रवाई नहीं करने का बहाना मिल जाता है। लिहाजा युवाओं को नशाखोरी की ओर धकेलने के लिए तमाम प्रयास खुलेआम होते नजर आ रहे हैं। पिछले महीने हालांकि पुलिस ने एकाध जगह छापामारी करके अवैध रूप से संचालित हो रहे हुक्काबारों पर हल्ला बोला था, लेकिन जानकार बताते हैं कि यह तो महज रस्म अदायगी है। पुलिस को ऐसा हल्ला रात आठ बजे बाद शराब की दुकानों पर भी बोलना चाहिए। जानकारों की मानें तो हुक्काबारों के नाम पर भी शहर में जगह-जगह नशे का सामान अवैध रूप से बेचा जा रहा है। इस धंधे में बदमाश प्रवृत्ति के लोग शामिल है। इनके चेहरे पुलिस से भी छिपे हुए नहीं है, लेकिन दबाव की राजनीति के चलते वो भी खुलकर हल्ला नहीं बोल पा रही है। जानकार सूत्रों के मुताबिक नशाखोरों में इन दिनों ‘गांजे के जॉईंटÓ का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। नशेबाजी का ठिकाना बने हुक्काबारों में भी इस जॉईंट की सबसे ज्यादा डिमांड है। तंबाकू और गांजे के मिक्सर से बने सिगरेटनुमा यह जॉईंट शहरभर में केवल हुक्काबारों में नहीं, बल्कि चाय-पान की दुकानों पर भी धड़ल्ले से बिक रहे है। स्कूली और कॉलेजी युवक-युवतियों की नशेबाजी का अड्डा बने इन हुक्काबारों में थोड़े दिन पहले गांजे के जॉईंट के साथ अफीम से भरे जॉईंट का चलन भी शुरू हो चुका है। चिलम की शक्ल का यह जॉर्इंट नशेड़ी के फेफड़ों को पूरी तरह तबाह कर देने वाला साबित होता है। कई लोग दमा पीडि़त होकर जिंदगी और मौत से जूझ रहे है।
- Advertisment -