भीषण गर्मी के बीच 25 मई से नौतपा शुरू होने जा रहा है। मान्यता के अनुसार, नौतपा के नौ दिनों में भगवान सूर्य की पूजा का विशेष विधान है। इस अवधि के नौ दिन साल भर के सबसे गर्म माने जाते हैं। नौतपा अगर न तपे तो क्या होता है? इस संबंध में लोकसंस्कृतिविद दीपसिंह भाटी बताते हैं कि लू तो बेहद जरूरी है। मैं प्रश्न करता हूँ, ‘क्यों’ तो वे जवाब देते हैं- दो मूसा, दो कातरा, दो तीड़ी, दो ताय। दो की बादी जळ हरै, दो विश्वर दो वाय नौतपा के पहले दो दिन लू न चली तो चूहे बहुत हो जाएंगे। अगले दो दिन न चली तो कातरा (फसल को नुकसान पहुंचाने वाला कीट)। तीसरे दिन से दो दिन लू नहीं चली तो टिड्डियों के अंडे नष्ट नहीं होंगे। चौथे दिन से दो दिन नहीं तपा तो बुखार लाने वाले जीवाणु नहीं मरेंगे। इसके बाद दो दिन लू नहीं चली तो विश्वर यानी सांप-बिच्छू नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे। आखिरी दो दिन भी नहीं चली तो आंधियां अधिक चलेंगी। फसलें चौपट कर देंगी।
नौतपा में इन बातों का रखें ध्यान...
- नौतपा के दौरान कई खास बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। मसलन, तेज गर्मी से बचने के लिए ठंडी तासीर वाली चीजों का सेवन करना चाहिए।
- इस अवधि में भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। ऐसे में सूर्य देव को प्रतिदिन जल चढ़ाएं। साथ ही उनके वैदिक मंत्रों का जाप करें।
- सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें। इसके बाद जल के लिए एक तांबे का लोटा लें। तांबे के लोटे में जल, कुछ फूल, अक्षत, गुड़, रोली इत्यादि चीजें मिला लें। पूर्व दिशा की ओर मुख करके जल चढ़ाएं।
- सूर्य देव को जल चढ़ाने का सबसे अच्छा समय सूर्योदय माना गया है। जल चढ़ाते समय ॐ आदित्याय नम: सूर्य मंत्र या गायत्री मंत्र का जाप करें। भाव के साथ सूर्य नमस्कार करें।