Monday, May 20, 2024
Hometrending"विरासत" ने रचा इतिहास, परम्परागत घूमर व कत्थक नृत्य देखकर मंत्रमुग्ध हुए...

“विरासत” ने रचा इतिहास, परम्परागत घूमर व कत्थक नृत्य देखकर मंत्रमुग्ध हुए दर्शक

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

Ghoomar Training Workshop
Ghoomar Training Workshop

बीकानेर Abhayindia.com विरासत संवर्द्धन संस्थान की ओर से आयोजित घूमर प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन त्रिआयामी कार्यक्रमों के साथ गंगाशहर स्थित टीएम ऑडिटोरियम में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की विधिवत शुभारम्भ सरस्वती व नटराज के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। मुंबई से आई 8 वर्षीय बाल कलाकार तनीषा दस्साणी ने भरतनाट्यम शैली में गणेश वंदना प्रस्तुत की, जिसे देखकर सभी भाव विभोर हो गए। इसके बाद कार्यक्रम का प्रथम चरण घूमर नृत्य के पांच रंगों के रूप में शुरू हुआ। म्हारी रुणक झुणक पायल बाजे सा, पल्लो लटके, बाईसा रा बीरा, ओ म्हारी घूमर छे नखराळी ए मां व केसरिया बालम पधारो म्हारे देश आदि लोक गीतों व मांड के लाइव गायन वादन के साथ बच्चियों व महिलाओं ने सामूहिक प्रस्तुतियां दी। केसरिया बालम पर हुए नृत्य में घूमर व कत्थक के मिश्रण ने दर्शकों को उत्साहित और आनन्दित कर दिया।

प्रशिक्षक पं पन्नालाल कत्थक के निर्देशन में इन सराहनीय प्रस्तुतियों में खचाखच भरा टी एम आडिटोरियम तालियों से गुंजायमान होता रहा। प्रथम चरण में संगीत गुरू पंडित पुखराज शर्मा के निर्देशन में तबले पर ताहिर हुसैन, ढोलक पर लियाकत अली, ऑक्टोपेड पर शहादत अली, पढ़ंत में घूमर प्रशिक्षक अशोक जमड़ा व सह गायिका के रूप में गरिमा पण्डित ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। अभिभावकों व दर्शकों को इन प्रस्तुतियों को देखकर प्रशिक्षण की सार्थकता की अनुभूति हुई।

कार्यक्रम के दूसरे चरण में भैरव प्रसाद कत्थक की नई पुस्तक कर्मयोगी जाति -कत्थक के विमोचन किया गया। विमोचन कार्यक्रम में सेवानिवृत्त वाइस एयर मार्शल महावीर सिंह शेखावत, वीणा कैसेट्स व सुर संगम के संस्थापक के.सी. मालू, इतिहासकार शिव कुमार भनोत, विरासत के संस्थापक टोडरमल लालाणी, जयपुर घराने के प्रतिष्ठित नृत्य गुरू पंडित पन्नालाल कत्थक व भैरव प्रसाद कत्थक मंचासीन हुए। इस दौरान भैरव प्रसाद कत्थक ने अपने विचार रखे। आशीर्वचन टोडरमल लालाणी ने दिया। निवर्तमान एयर वाइस मार्शल महावीर सिंह शेखावत ने अपनी मंगल कामनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि इतिहास लेखन बहुत बड़ा काम है। इससे मूल को जानने की राह मिलती है। पुस्तक की समीक्षा करते हुए शिवकुमार भनोत ने कहा कि इतिहास की सभी बातों के लिए लेखबद्ध साक्ष्य ही हों, यह जरूरी नहीं होता। मौखिक इतिहास जो पीढ़ी दर पीढ़ी सुनते जानते हैं वह भी इतिहास का हिस्सा होता है।

पं. पन्नालाल कत्थक ने कत्थक जाति की वंशावली व उद्गम से सम्बन्धित तथ्यों का संग्रह कर पुस्तकाकार प्रदान करने के लिए लेखक को बधाई दी। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से इन तथ्यों पर चर्चा व प्रतिक्रियाएं होंगी, पर उससे और ज्यादा तथ्य व जानकारियां उजागर हो सकेगी। के.सी.मालू ने विरासत संवर्द्धन संस्थान द्वारा आयोजित 10 दिवसीय घूमर प्रशिक्षण कार्यशाला के आयोजन व आज के कला व साहित्य के त्रिआयामी समारोह की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए विरासत संवर्द्धन संस्थान व इसके संस्थापक टोडरमल लालानी का बहुत बहुत साधुवाद व्यक्त किया।

तीसरे चरण में दिल्ली से आए कलाकारों ने कत्थक नृत्य से सदन का मन मोह लिया। कत्थक के मुख्य कलाकार राहुल गंगाणी व उपासना सप्रा सहित करीब 9 कलाकारों ने कत्थक नृत्य की लाइव प्रस्तुति दी। राहुल गंगाणी व उपासना सप्रा की कत्थक भाव-भंगिमाओं से हर एक दर्शक उत्साहित हो उठा। दर्शकों में से एक महिला ने आगे आकर अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा कि आज नृत्य की प्रस्तुतियां देखकर तन-मन के साथ ही आत्मा भी प्रफुल्लित हो गई है। उसने कलाकारों व आयोजकों का बहुत बहुत आभार व्यक्त किया।

इस दौरान दस दिवसीय घूमर कार्यशाला के प्रशिक्षणार्थियों के बीच हुई घूमर प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। प्रतियोगिता में सीनियर वर्ग में अर्चना गहलोत ने प्रथम, शिवानी गहलोत ने द्वितीय व भूमिका पंवार ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। जूनियर वर्ग में वान्या पारख ने प्रथम, कुंजन गहलोत ने द्वितीय व निधि आंचलिया ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। वहीं, सुमन चौधरी को कार्यशाला की बेस्ट डांसर के रूप में पुरस्कृत किया। दस दिवसीय कार्यशाला में जतनलाल दूगड़, सम्पतलाल दूगड़, सुमन शर्मा, पुखराज शर्मा, रोशन बाफना आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही। वहीं नृत्य गुरू पण्डित पन्नालाल कत्थक, भैरव प्रसाद कत्थक व सुमन शर्मा ने प्रतियोगिता में निर्णायक की भूमिका निभाई। घूमर व कत्थक कार्यक्रम का मंच संचालन रोशन बाफना व पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का मंच संचालन जतनलाल दूगड़ ने किया। टोडरमल लालाणी की विशेष फरमाइश पर कत्थक ग्रुप के गायक अशोक परिहार ने जब लग जा गले सुनाया तो दर्शक भी साथ में गुनगुनाने लगे। बता दें कि विरासत संवर्द्धन संस्थान हमारी विरासत का हिस्सा लोक गीत, लोक नृत्य, लोक कला, संगीत आदि के संरक्षण व संवर्द्धन का कार्य कर रहा है।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular