Sunday, May 19, 2024
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आयुर्वेद की दवाइयां बनाने एवं प्रयोग करने में सिद्ध हस्त थे वैद्य महावीर प्रसाद शर्मा

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बीकानेर Abhayindia.com योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से स्वस्थ सुखी और दिव्य जीवन जीने का संदेश देने वाले राजस्थान प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र के संरक्षक रहे स्व. वैद्य महावीर प्रसाद शर्मा तो हमारे बीच नहीं है अपितु पुडुचेरी के समुद्र तट पर अध्यात्मिक आश्रम से प्रेरणा पूंज महर्षि अरविन्द की तपोस्थली से योगाचार्य डॉ. देवेन्द्रदत्त शर्मा प्रकट होकर कोलायत की कपिल मुनि के आश्रम में तपस्या के पश्चात बीकानेर लौटकर योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा की अलख जगाकर जनजन के उत्तम स्वास्थ्य की कामना के लिए सन् 1951 में राजस्थान प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र की स्थापना की। मानव जीवन को पीड़ा मुक्त करने के संकल्प के साथ 1972 से स्व. देवेन्द्रदत्त के पश्चात 20 जून 2018 को जन्मे स्व. वैद्य महावीर प्रसाद शर्मा ने राजस्थान प्राकृतिक चिकित्‍सा केन्द्र, गंगाशहर के अधिष्ठाता, मुख्य चिकित्सक व संरक्षक के रूप में रहकर पूरे बीकानेर ही नहीं अपितु पूरे देशभर में केन्द्र की पहचान बनाकर सेवा प्रकल्प का परचम फहराया।

1972 से 16 फरवरी 2019 तक निरन्तर संत पुरूष की भांति केन्द्र में रहकर निस्वार्थ भाव से नर सेवा नारायण सेवा कर सहस्त्रों रूग्ण मानवों की पीड़ा मुक्त कर स्वस्थ जीवन प्रदान करने के संकल्प को पूर्ण कर देवलोक का गमन किया। जिनकी आज चतुर्थ पुण्य तिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित करने का अवसर आया है। संस्था के प्रेरणा पूंज स्व. शर्मा को आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा का उन्हें तल स्पर्शी ज्ञान था। आधुनिक युग के अश्विनी कुमार कहा जाए तो कोई अतिश्‍योक्ति नहीं है। आयुर्वेद की दवाईयां बनाने एवं प्रयोग करने में सिद्ध हस्त थे। अनगिनत लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा से जीवन दान दिया और अस्थमा रोग के लिए कहा जाता है कि ‘‘दमा दम’’ के साथ जाता है। जिस कहावत को निर्मूल साबित कर दिखाया। सफल इलाज कर हजारों लोगों का स्वस्थ बनाया। वैद्यजी के पिता गिरधारीलाल स्वयं अच्छे वैद्य थे। जो इन्हें विरासत में मानव सेवा की कृति मिली। 1964 में वैद्य विशारद की उपाधि प्रयाग से प्राप्त की और अस्थमा, पोलियो, साईनो साईटिस व मोटापा पर वैद्यजी ने शोध कार्य कर विशिष्टता हासिल की।

वैद्यजी आर.एस.एस. संघ के प्रचारक रहे। उन्होंने संघ की योजना से राजनीतिक संगठन में कार्य किया। जिसमें जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय, सुन्दर सिंह भंडारी, अटल बिहारी वाजपेयी एवं भैरोसिंह शेखावत, सतीशचन्द्र अग्रवाल, ललित किशोर चतुर्वेदी जैसे नेताओं के साथ निकट के संबंध व उनके साथ कार्य करने का मौका मिला।

स्व. वैद्यजी संकल्प के धनी थे। नियम व निर्णय पर सभी विघ्नों के बावजूद अडीक रहने की वृति इनके व्यक्तिगत का विशेष गुण था। वैद्य अन्नय गौभक्त थे। बचपन में ‘‘हिन्दु की गाय’’ के नाटक का मंचन किया। सन् 1954 में स्वामी प्रभुदत्त ब्रह्माचारी की प्रधानता में अखिल भारतीय गौ हत्या विरोध समिति गठित हुई। जिसमें प्रसिद्ध गौ भक्त स्वतंत्रता सेनानी लाला हरदेव सहाय की भूमिका प्रभावी थी। जिनके साथ वैद्यजी ने गतिविधियों में अपने सहयोग को अखंडित रखा। अपने पिता से प्रेरित होकर अपने घर में गाय रखना और प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र में भी गौशाला खोलकर गौ सेवा को अंजाम दिया।

वैद्यजी बहुत बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। एक राजनेता, वैद्य, आयुर्वेदा एवं प्राकृतिक चिकित्सक, योगाचार्य, लेखक, साहित्सकार तो थे ही, साथ ही उन्होंने कई गीतों की रचनाएँ की। विजय घोष, साप्ताहिक, पंच परमेश्वर, स्वास्थ्य साधना, धनवंतरी प्रसाद, मंगल मार्ग पुस्तकों का प्रकाशन व लेखन भी किया। वन औषधि के गुणों, आसन, प्रणायम, प्राकृतिक चिकित्सा उपायों पर कई लेख लिखें। जो कई पत्रपत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।

स्व. वैद्य महावीर प्रसाद शर्मा का वट वृक्ष के रूप में विकसित किया गया राजस्थान प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र आज नई ऊँचाईयों पर ले जाकर मानव सेवा प्रकल्प को आगे बढ़ाना ही सच्ची श्रद्धांजली अर्पित की जाएंगी। इसके लिए आज राजस्थान प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र उनके आर्दशों को मूर्त रूप देते हुए अग्रणी पंक्ति में खड़ा है एवं नित नई उड़ान भर कर राजस्थान में अपना परचम फहरा रहा है, यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि राजस्थान प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र ने आज नए आयामों में चिकित्सा के क्षेत्र में विशेष पहचान बनाई है। यहाँ 400 मीटर का भ्रमण पथ, महिला व पुरूष वार्ड तथा शिरोधारा कक्ष, आरोग्य कक्ष, धनवंतरी मंदिर, योग भवन, वन औषधि उद्यान, संत निवास, पर्यावरण पोषित हराभरा क्षेत्र आदि से सुज्जित तो है ही पर विलुप्त हो रही संस्कृति को पुनः जागरण के लिए जागृति लाकर संस्था ने अनूठा कार्य किया है। सांस्कृतिक धरोहर को कायम रखते हुए वर्ष भर में पाँचछः बार निःशुल्क कैंपों के माध्यम से सेवा करना एवं गरीब व असहाय लोगों की निःशुल्क सेवा का केन्द्र बन गया है।

जनमानस से यह अपील है कि इस सेवा प्रकल्प के साथ जुड़कर वैद्यजी के स्वप्न को साकार करने एवं जन सहयोग के मानस से इस केन्द्र को प्रगति के पथ पर बढ़ाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाकर सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करें। डॉ. वत्सला गुप्ता, चिकित्सा अधिकारी, बीकानेर

आपको बता दें कि संस्था में वैद्यजी का सदैव सोच था कि योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा (दोनों क्षेत्रों) का जानकार ही आगे बढ़ा सकता है। जिनके स्वप्न को साकार करने के लिए योगाचार्य एवं प्राकृतिक चिकित्सक के रूप में पिछले ढाई वर्षों से लगातार उच्च कोटि के इलाज के साथ संस्था के विकास में अहम भागीदारी निभाकर डॉ. वत्सला गुप्ता अपनी सेवाएं दे रही है, जिनके कारण संस्था अपना कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। इस निर्णायक भूमिका में अपने सामाजिक उत्थान के साथ बीकानेर के प्रबुद्ध समाज सेवियों की टीम का नेतृत्व कर रहे समिति के अध्यक्ष वेदप्रकाश चतुर्वेदी के साथ लक्ष्मीनाथ मंदिर गौशाला समिति के मंत्री व प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र के उपाध्यक्ष गौ भक्त श्रीभगवान अग्रवाल तथा चिकित्सा केन्द्र के मंत्री बनवारी लाल शर्मा सहमंत्री कृष्ण कुमार मेहता, कोषाध्यक्ष सुभाष मोदी एवं कार्यकारिणी सदस्य हनुमान चांडक, हनुमान सिंह चावड़ा, भंवरलाल गहलोत, सम्पत पारीक, संतोष व्यास, परामर्श मंडल अध्यक्ष एडवोकेट तेजकरण गहलोत की महती भूमिका है, जो वर्तमान में संस्था को सेवा प्रकल्प के रूप में वैद्य जी की परिकल्पना के अनुसार नर सेवानारायण सेवा को आधार मानकर सिंचित कर रहे है, यहीं सच्ची श्रद्धांजलि होगी। बनवारी लाल शर्मा, मंत्री

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