Sunday, June 30, 2024
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बीकानेर में बिजली चोरी व छीजत पर कंपनी की लगाम नहीं, मुख्‍यमंत्री को भेजा पत्र

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बीकानेर Abhayindia.com बिजली चोरी और छीजत का ग्राफ लगातार बढने से बिजली कंपनियां घाटे के कगार पर पहुंच गई है। उपभोक्‍ताओं के साथ हो रहे दोहरे व्‍यवहार के चलते भी सरकार भी कठघरे में है। इस मामले को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता चौरूलाल सुथार ने मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को पत्र प्रेषित किया है।

सुथार ने अवगत कराया कि अभी हाल ही में विद्युत उपभोक्ताओं से 54 पैसे प्रति यूनिट फ्यूल सरचार्ज के मद में बढ़ोतरी की जाकर बिजली की भयंकर कमी और महंगी दरों की मार झेल रहे प्रदेश के करीब 60 लाख बिजली उपभोक्तओं पर अब 181.5 करोड़ का अतिरिक्त भार डालने की तैयारी की जा रही है यह राशि गत महीनों में लगाये गए फ्यूल सरचार्ज से अतिरिक्त होंगी जो “स्पेशल फ्यूल सरचार्ज” मद में लगाई जाकर वसूली जाएगी। यह बिजली उत्पादन कंपनी “अडानी पावर” पर कोल इंडिया की और से लगे इवेक्यूएएसन फेसिलिटी चार्ज का नतीजा है। जो राजस्थान का बिजली उपभोक्ता भुगतेगा। प्रदेश की बिजली कंपनियां विभागीय कुप्रबंधन व भ्रष्‍टाचार का अड्डा बन गई है ये बिजली कंपनियां बिजली चोरी व छीजत रोकने में बिल्कुल ही असफल रही है। प्रदेश की जितनी प्राइवेट कंपनियां है उनको प्रदेश में बना बनाया नेटवर्क मिल गया है तथा कंपनियां बनने से प्रदेश में रोजगार नाम की कोई जगह नहीं रही।

सुथार ने अवगत कराया कि पहले से ही विद्युत के बिल भारी दरों से जारी किए जा रहे है जिनमें विद्युत खर्च, फिक्सड/डिमांड चार्ज, फ्यूल सरचार्ज, एलेक्टरीसिटी डयूटी, अरबन सेस के मदों में भारी भरकम चार्ज वसूला जा रहा है। अब ऊपर से 54 पैसे फ्यूल सरचार्ज व इसके अतिरिक्त फ्यूल सरचार्ज वसूलने की तैयारी की जा रही है जो एक तरह से कोढ़ में खाज साबित होगा। पहले से ही महंगी बिजली की मार झेल रहा मध्यम वर्ग, किसान वर्ग व बी.पी.एल. वर्ग और अधिक मार झेलने के लिए मजबूर किये जा रहे है, जो न्याय संगत नहीं है।

सुथार ने अवगत कराया कि बीकानेर शहर की ही बात करें तो पूरे शहर की बिजली वितरण व्यवस्था ‘आर.पी. गोयनका ग्रुप” के अधीन” बीकानेर इलेक्ट्रिसिटी कंपनी” के पास है। यह कंपनी बिजली चोरी व छीजत रोकने में एकदम असफल रही है। बीकानेर शहर में बिजली छीजत 46 प्रतिशत से अधिक हो रही है जबकि वास्तविक तकनीकी व वितरण छीजत 12 प्रतिशत तक ही रहती है यानी 12 प्रतिशत से अधिक छीजत सीधे-सीधे चोरी में जा रही है। ऐसा नहीं है कि कंपनी को मालूम नहीं है, उनको सब मालूम है कि पूरे शहर के किन-किन फीडरों में कितनी यूनिट्स बिजली आ रही है व कितनी बिजली यूनिट्स खपत हो रही है। मिनट टू मिनट का डाटा उपलब्ध है। इन फीडरों के अधीन जिन उपभोक्ताओं के बिलों में कितने यूनिट्स आ रहे है व बिलों के यूनिट्स व खपत में कितना अंतर है। यह भी ध्यान में है कि किन-किन फीडरों पर चोरी हो रही है लेकिन कंपनी बिजली चोरी व छीजत रोकने में असफल रही है। ऐसे में कंपनी के राजस्व में घाटा होना स्वाभाविक ही है। सुथार ने बताया कि चोरी करने वालों पर कोई फर्क नही पड़ने वाला चाहे कितनी भी दरें बढाओ। फर्क तो केवल उन्हीं उपभोक्ताओं पर पड़ेगा जो ईमानदारी से बिजली का उपयोग करते है व समय पर पैसा देते है। जब बिजली कंपनियां बिजली चोरी करने वालों का कुछ भी नही बिगाड़ सकती तो फिर ईमानदार उपभोक्ताओं को क्यों परेशान किया जा रहा है।

सुथार ने आगे बताया कि एक तरफ सरकार बिजली की दरें बढ़ाने पर आमादा है व दूसरी तरफ प्रदेश में केवल उन्हीं उपभोक्ताओं को 100 यूनिट्स फ्री बिजली दी जा रही है जिन्होंने पिछली कांग्रेस सरकार में इसके लिए पंजीकरण करवा रखा है। अगर बिजली फ्री देनी ही है तो पूरे प्रदेश के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को दी जाए वह भी बिना पंजीकरण के अन्यथा 100 यूनिट फ्री बिजली बंद की जाए। अगर ऐसा होता है तो राजस्व में बढ़ोतरी होगी व सभी के साथ न्याय होगा। जिनको 100 यूनिट बिजली फ्री नहीं मिल रही है उनके साथ भयंकर अन्याय हो रहा है। जब सरकार कोई दर बढ़ाती है तो क्या उन्हीं उपभोक्ताओं पर लागू होती है जिनका पंजीकरण हो रखा है, नहीं, ऐसा नही है। फिर 100 यूनिट फ्री बिजली के लिए पंजीकरण की क्या आवश्यकता है? जो पिछली सरकार ने की थी। जैसे बढ़ी हुई दरें सभी उपभोक्ताओं पर लागू होती है तो फ्री 100 यूनिट्स भी सभी उपभोक्ताओं पर लागू होने चाहिए। अन्यथा ये व्‍यवस्थाएँ बंद होनी चाहिए।

सुथार ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि पहले से ही महंगी बिजली व भारी भरकम चार्जेज से विद्युत उपभोक्ता काफी परेशान है। फिर आये दिन कोई न कोई अतिरिक्त चार्जेज वसूल करना सभी उपभोक्ताओं के साथ कुठाराघात व अन्याय है। अगर सरकार को कोई सख्त फैसला लेना ही है तो राजनीति से ऊपर उठकर बिजली चोरी व छीजत पर सख्ती से अंकुश लगाए। जब तक कोई भी सरकार राजनीति से ऊपर उठकर ऐसे फैसले नहीं ले पाती, तब तक न तो बिजली चोरी रुकनी है व न ही छीजत ही रुकनी है। ऐसे में सरकार, बिजली विभाग व बिजली कंपनियों के राजस्व में हो रहे भारी नुकसान को कोई भी नहीं रोक सकता।

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