जोधपुर Abhayindia.com राजस्थान उच्च न्यायालय ने बीकानेर निवासी मोहनराम ओड की रिट याचिका को अंतरिम रूप से ग्राहृय करते हुए उसके समायोजन आदेश दिनांक 07.12.2024 पर अंतरिम रोक लगा दी है।
मामले के अनुसार, बीकानेर निवासी मोहन राम ओड जो 60 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग कार्मिक है और वर्तमान में वह महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय, बेलदारों का बास, कोटड़ी जिला बीकानेर में प्रबोधक के पद पर कार्यरत है। प्रबोधक के पद पर उनकी नियुक्ति जिला शिक्षा अधिकारी एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद् बीकानेर द्वारा दिनांक 28.09.2008 को की गई एवं इसके पश्चात वह वर्तमान में इसी पद पर प्रबोधक के रूप में सेवायें दे रहा हैं।
माध्यमिक शिक्षा विभाग, राजस्थान बीकानेर के निदेशक द्वारा दिनांक 14.11.2024 को अधिशेष शिक्षकों/कार्मिकों के समयोजन के संबंध में दिशा निर्देश जारी किये गये। इनकी आड में प्रार्थी को भी अधिशेष घोषित करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी, प्राथमिक शिक्षा, बीकानेर द्वारा उसका स्थानान्तरण महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय, बेलदारों का बास, कोटड़ी से राजकीय प्राथमिक विद्यालय मेघवालों की ढाणी पूर्व में आदेश दिनांक 07.12.2024 को किया गया।
विभाग के इस कृत्य से व्यथित होकर उसने एक रिट याचिका राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर के समक्ष अपने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से प्रस्तुत की। प्रार्थी के अधिवक्ता का उच्च न्यायालय के समक्ष यह तर्क था कि प्रथमतया प्रार्थी एक दिव्यांग कार्मिक के रूप में प्रबोधक के पद पर कार्यरत है व उसकी नियुक्ति जिला शिक्षा अधिकारी एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद, बीकानेर के आदेश से वर्ष 2008 में की गई थी जबकि आलौचीय आदेश दिनांक 07.12.2024 से उसका समायोजन जिला शिक्षा अधिकारी, प्राथमिक शिक्षा बीकानेर के द्वारा किया गया है जो ना तो प्रार्थी का नियुक्ति अधिकारी है ना ही अनुशासनात्मक अधिकारी हैं।
इसके बावजूद भी उसका समायोजन की आड़ में स्थानान्तरण असक्षम अधिकारी द्वारा कर दिया गया जो विधि विरूद्ध है क्योंकि प्रार्थी का नियोक्ता जिला शिक्षा अधिकारी एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद, बीकानेर हैं एवं वह ही इसका स्थानान्तरण एवं पदस्थापन कर सकता हैं। दूसरा यह हैं कि प्रार्थी 60 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग कार्मिक हैं एवं दिव्यांग कार्मिकों के लिए राज्य सरकार द्वारा समय समय पर दिशा निर्देश जारी कर उनके स्थानान्तरण में छूट/प्राथमिकता प्रदान की गई हैं। इसके बावजूद भी प्रार्थी का समायोजन की आड में स्थानान्तरण उसके निवास स्थान से 60 किलोमीटर दूर किया गया है एवं उसे किसी प्रकार की कोई प्राथमिकता या छूट प्रदान नही की गयी हैं, जो विधि विरूद्ध है।
प्रार्थी के अधिवक्ता के तर्को से सहमत होते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय की एकल पीठ के न्यायाधीश अरूण मोगा ने मोहनराम ओड की रिट याचिका को अंतरिम रूप से ग्राहृय करते हुए उसके समायोजन आदेश दिनांक 07.12.2024 पर अंतरिम रोक लगाते हुए प्राथमिक शिक्षा विभाग को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब तलब किया।