Sunday, May 19, 2024
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बीकानेर स्थापना दिवस पर विशेष कविता : कितने अलबेले मस्त हैं, इस शहर के लोग…

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बीकानेर Abhayindia.com

कितने अलबेले मस्त हैं, बीकानेर शहर के लोग।
गपशप पाटा तरी में जीते हैं, इस शहर के लोग।।

इस शहर की तासीर में, मिश्री सा अपनापन है।
पल की संगत में अपनापन देते, इस शहर के लोग।।

कितने भोले कितने अल्हड़ हैं मरुधरा के ये लोग।
अपनी मस्ती भी मस्त रहते हैं इस शहर के लोग।।

वीर-धीर-गंभीर पराई पीर का ये अलबेला है शहर।
हर गली हर मोड़ पलके बिछाते इस शहर के लोग।।

सुरों की सरिता से भी सिंचित, इस शहर के लोग।
स्वर लहरिया बिखेर रहे देश में, इस शहर के लोग।।

जात-पांत-भेद से कोसों दूर है इस शहर के लोग।
तीज-त्यौहार आपस में मिल मनाते, इस शहर के लोग।।

भाषा-साहित्य व संस्कृति से लबरेज़ है यह शहर।
अपने-अपने हुनर के धनी है, इस शहर के लोग।।

भाईचारा अगर देखना है तो, बीकानेर आ के देखो।
इंसानियत का पैगाम भी देते हैं, इस शहर के लोग।।

“नाचीज़” बिकानेरियत पर हम सब नाज़ करते आए हैं।
दुनियां में अमन-चैन की मिशाल है, इस शहर के लोग।।

फितने-फसाद से कोसों दूर है मेरा शहर।
अच्छे अच्छों का उतर जाता है यहां जहर।।

-मईनुदीन कोहरी “नाचीज़ बीकानेरी” 9680868028

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